
फैक्ट्रियों के प्रदूषण की भेंट चढऩे लगी खरीफ की फसलें
पीपाड़सिटी (जोधपुर) . औद्योगिक क्षेत्रों की चूना कली व हाइड्रेडलाइम की फैक्ट्रियों से होने वाले प्रदूषण से आसपास खेतों में बोई गई मानसूनी फसलें डस्ट की भेंट चढ़ने से नष्ट होने लगी हैं।
पीपाड़सिटी के जवासिया, सिंधीपुरा के साथ बोरुंदा, खवासपुरा, हरियाढाणा, खेजड़ला, रणसीगांव, खारिया खंगार आदि गांवों में केमिकल, चूना, सीमेंट की फैक्ट्रियों से निकलने वाली डस्ट की चादर आसपास के खेतों में चलने से गरीब किसानों की मूंग, तिल, बाजरा, ज्वार, ग्वार की फसलें नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई हैं।
इस डस्ट के कारण फसलें विकसित नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में पैदावार में कमी होने से किसानों की मेहनत पर भी पानी फिरने लगा है। इसके साथ उनकी उम्मीदें भी टूट रही हैं लेकिन प्रशासन व कृषि विभाग के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी मूकदर्शक बना हुआ है।
किसानों में आक्रोश
औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास के किसानों की प्रदूषण और डस्ट की समस्या की ओर ध्यान नहीं देने से ग्रामीणों में प्रशासन व औद्योगिक इकाइयों के विरूद्ध आक्रोश है।
किसान उगराराम जवासिया ने बताया कि जवासिया औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक चूना कली फैक्ट्री के पीछे 9 बीघा जमीन पर वर्तमान में मूंग की फसल बोई हुई है। फैक्ट्री से होने वाले प्रदूषण व सफेद डस्ट मूंग की फसल के ऊपर जम गई है।
इस स्थिति में खेत में खड़ी फसल सफेद पाउडर से सनी नजर आ रहीं है। इस बारे में क्षेत्र के किसानों ने कई बार प्रशासन को अवगत करवाया लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है।
मुआवजा दिया जाए
किसानों ने उपजिला प्रशासन से इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देकर प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर अंकुश लगाने के साथ चौपट हुई फसलों का उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है।
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार बेमौसम बारिश, टिड्डी दल हमला आदि में ही मुआवजा का प्रावधान है। फैक्ट्रियों से निकलने वाली डस्ट से होने वाले फसलों के नुकसान को लेकर नियमों में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने से मुआवजा की मांग को अनसुना कर दिया जाता है।
इन्होंने कहा
औद्योगिक विकास की आड़ में किसानों की फसलों के फैक्ट्रियों की डस्ट से होने वाले नुकसान से आर्थिक हानि हो रही है लेकिन किसानों की कोई सुन नहीं रहा है।
-बलदेव खदाव, युवा नेता, राष्ट्रीय किसान मोर्चा,पीपाड़सिटी
औद्योगिक इकाइयों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अनापत्ति प्रमाण पत्र देता है, उसे इसका भौतिक सत्यापन करना चाहिए। डस्ट से नुकसान के मुआवजे का प्रावधान राजस्व नियमों में नहीं है, फिर भी पटवारियों से ऐसे किसानों की रिपोर्ट देने को कहा गया है।
-गलबाराम मीणा, तहसीलदार पीपाड़सिटी
Published on:
27 Sept 2019 08:12 am
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