
बासनी (जोधपुर). मरूक्षेत्र में वर्षा की अनियमितता और मृदा की सीमित उत्पादकता के चलते परम्परागत खेती के साथ चन्दन की खेती महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
ये बात आफरी निदेशक डॉ. इन्द्र देव आर्य ने कही। वे चन्दन की खेती पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि किसानों को संबोधित कर रहे थे। डॉ. आर्य ने किसानों की आमदनी बढाने के लिए कृषि वानिकी को बेहतर विकल्प बताया तथा इस दिशा में चन्दन के वृक्षों को वैज्ञानिक ढंग से लगाकर हरियाली के साथ-साथ आमदनी बढाने की संभावनाओं को बताया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक और चन्दन परियोजना प्रभारी डॉ. नवीन कुमार बोहरा ने चन्दन के साथ प्राथमिक पोषक, मध्यवत्र्ती पोषक तथा लंबी अवधि वाले पोषक पादपों को अपनाकर चन्दन की वैज्ञानिक खेती करने के बारे में बताया। आफरी के उप वन संरक्षक रमेश मालपानी ने चन्दन की नर्सरी तकनीक तथा चन्दन की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए।
चंदन हार्डवुड के लिए उपयोगी
आफरी के पूर्व निदेशक और चन्दन के विशेषज्ञ डॉ. त्रिलोक सिंह राठौड़ ने बताया कि चन्दन की मांग लगातार बढ़ती जा रही है तथा इसमें पाए जाने वाले रसायनों तथा इसकी हार्डवुड के कारण यह बहुत उपयोगी है। डॉ. राठौड़ ने भारतीय और अन्य विदेशी चन्दन प्रजातियों की तुलना करते हुए बताया कि भारतीय चन्दन विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। आफरी के उप वन संरक्षक रमेश मालपानी ने चन्दन की नर्सरी तकनीक तथा चन्दन की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए।
कई जिलों के किसानों ने लिया प्रशिक्षण
कार्यक्रम में जोधपुर के अलावा जयपुर , शेरगढ़, बाड़मेर, नागौर, जालोर, पाली, बाप, सांचोर आदि के किसानों ने भाग लिया। इनमें से कई किसान पहले से ही चन्दन के पौधे लगा चुके हैं। सभी प्रशिक्षणार्थियों ने चन्दन की खेती पर बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही। इस दौरान जेपी दाधिच, भेंपाराम विश्नोई, रणवीर सिंह , सवाईसिंह राजपुरोहित, सुमित चौहान, दिनेश कुमार, आकाश कण्डारा, राजेश मीणा, सुनिल कुमार, अखिल सिंह भण्डारी आदि ने सहयोग दिया।
Published on:
27 Mar 2018 10:02 pm
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