
राजेन्द्रसिंह दूदौड़
जोधपुर. रेगिस्तान का जहाज यानि राज्य पशु ऊंटों का अस्तिव खतरे में है। प्रदेश में तेजी के साथ ऊंटों की संख्या कम हो रही है। प्रदेश में 20वीं पशु गणना की गई। लेकिन पशु गणना के अंदर रेगिस्तान के जहाज की संख्या के आंकड़े चौकाने वाले सामने आए है। वर्ष 2012 की पशु गणना में राज्य में 3 लाख 25 हजार 713 ऊंट थे। वहीं 20 वीं पशु गणना में 2 लाख 12 हजार 739 ऊंटों की संख्या ही रह गई। प्रदेश में एक लाख 12 हजार 974 ऊंटों की संख्या घट गई।
कमी का मुख्य कारण
पशुपालकों के मुताबिक ऊंटों की संख्या की कमी के पीछे कई कारण है। चारागाहों की कमी, ऊंटों में प्रजनन की कमी, युवा वर्ग का ऊंट पालन में रुचि नहीं ले रहा है, ऊंटों का संरक्षण होने के बजाए उन्हे नुकसान ज्यादा हुआ है। इसका कारण यह है कि पहले ऊंट के बीमार होने या बूढ़ा होने पर उसे बचेना आसान था। उसे राज्य से बाहर भी भेजा जा सकता था। ऊंट का चमडा अच्छी कीमत देता था। अब यह सब संभव नहीं है। ऐसे में ऊंट बूढ़ा या बीमार हो जाता है वह ऊंटपालक के लिए बड़ा बोझ बन जाता है। यह कारण है कि ऊंटपालक अब ऊंटों के प्रजनन में ज्यादा रुचि नहीं लेते है।
राज्य पशु का दर्जा भी काम नहीं आया
सरकार ने वर्ष 2014 में ऊंट को बचाने के लिए इसे राज्य पशु का दर्जा भी दिया गया। ऊंटों की संख्या बढ़ाने के लिए ऊंट पालकों को अनुदान भी शुरु किया गया। प्रत्येक ऊंटनी के प्रसव पर ऊंट पालक को दस हजार रुपए की अनुदान राशि भी शुरु की गई। ऊंट पालकों के मुताबिक यह राशि बहुत ही कम है। राज्य सरकार ने अब ऊंटनी के प्रसव पर मिलने वाली अनुदान राशि भी बंद कर दी गई।
फैक्ट फाइल वर्ष 2012 वर्ष 20191. जोधपुर 16 हजार 749 13 हजार 852. बाड़मेर 43 हजार 172 25 हजार 9073. जैसलमेर 49 हजार 917 34 हजार 4875. पाली 8 हजार 353 4 हजार 5696. सिरोही 4 हजार 121 3 हजार 5717. जालोर 5 हजार 114 4 हजार 931 ऊंटनी के दूध के प्रोडेक्ट बनाएंगे
ऊंट को बढ़ावा देने के लिए सरस डेयरी में ऊंटनी के दूध की आइसक्रिम सहित दूध के कई प्रकार के प्रोडेक्टस बना कर बेचेंगे। जिससे ऊंट पालाकों की आय बढ़ेगी। जिससे प्रदेश में दुबारा ऊंटों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।डॉ. चक्रधारी गौतम, अतिरिक्ति निदेशक पशुपालन विभाग जोधपुर
Updated on:
07 Apr 2021 06:54 pm
Published on:
07 Apr 2021 06:22 pm
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