जोधपुर।
मण्डोर थानान्तर्गत किशोर बाग में ई-मित्र से फर्जीवाड़े का खेल बरसों से चल रहा था। 12 साल पहले ई-मित्र शुरू किया गया था और करीब चार साल पहले संचालक ने अन्य दोनों आरोपियों को साथ मिला लिया था। दोनों सहयोगियों को मंगलवार को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। संचालक व सरगना अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है।
पुलिस ने बताया कि प्रकरण में गिरफ्तार ओसियां थानान्तर्गत तापू गांव निवासी पूरणसिंह पुत्र रतनसिंह और पहाड़गंज द्वितीय में भोमियाजी का थान के पास निवासी जितेन्द्रसिंह पुत्र भूरसिंह को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए। गिरोह सरगना व ई-मित्र संचालक करणपालसिंह उर्फ केपी की तलाश में टीमें लगाईं गईं हैंं, लेकिन अभी तक वह पकड़ा नहीं जा सका है। उसके पकड़े जाने पर दोनों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया जाएगा।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि पूरणसिंह ने वर्ष 2012 में ई-मित्र शुरू किया था। 2020 में करणपालसिंह व जितेन्द्र साझेदार बन गए थे। तीनों मिलकर ठगी करने लग गए थे। आधार कार्ड या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने अथवा आवेदन पत्र भरवाने के लिए कोई भी व्यक्ति ई-मित्र पर आता तो उनके साथ धोखाधड़ी की जाती थी। आरोपी पहले तो बायोमैट्रिक के जरिए उनके अंगूष्ठ निशान हासिल कर लेते थे और इनके पेन व आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज से बैंकों में खाते खुलवा देते थे। इन खातों की इंटरनेट बैंकिंग, यूजर आइडी, पासवर्ड, डेबिट कार्ड व पासबुक हासिल कर लेते थे। फिर इन खातों को कमीशन के आधार पर साइबर ठगों को बेच देते थे। आरोपी विभिन्न सरकारी अधिकारियों की फर्जी मोहरों से दस्तावेज प्रमाणित भी करते थे।
गौरतलब है कि थानाधिकारी विक्रमसिंह के नेतृत्व में पुलिस ने ई-मित्र में दबिश देकर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर 60 आधार कार्ड, 20 डेबिट कार्ड, 15 पेन कार्ड, 5 पास बुक, 8 चेक बुक व सकरारी अधिकारियों की दो मोहरें जब्त की गईं थी।
सरगना के मार्फत पुलिस पहुंच सकती हैं साइबर ठगों तक
करणपालसिंह फर्जी दस्तावेज से खोले बैंक खातों को साइबर ठगों को मुहैया करवाता था। उसके पकड़े जाने के बाद ही साइबर ठगों का पता लग पाएगा। फिलहाल एक संदिग्ध का पता लगा है। जिसके बारे में सरगना के पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी।