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Rajasthan Assembly Elections 2023: कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती है सूरसागर विधानसभा सीट, भाजपा का है दबदबा

जोधपुर की सूरसागर विधानसभा सीट की बात करें तो पिछले 15 सालों से ये सीट भाजपा के कब्जे में है

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जोधपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई दिग्गज नेताओं का राजस्थान दौरा शुरु हो चुका है। इस बीच जोधपुर की सूरसागर विधानसभा सीट की बात करें तो पिछले 15 सालों से ये सीट भाजपा के कब्जे में है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की महिला और वयोवृद्ध उम्मीदवार सूर्यकांता व्यास 'जीजी' ने कांग्रेस के अयूब खान को हराकर जीत हासिल की थी। वो ही यहां से मौजूदा विधायक हैं।

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सूरसागर विधानसभा सीट पर अधिकतर मतदाता माली, ब्राह्मण, मुस्लिम, एससी-एसटी, सिंधी, जैन, महेश्वरी, जाट और रावण राजपूत समुदाय से हैं। इस सीट पर 2 लाख 86 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। इस बार कांग्रेस की ओर से पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच, नरेश जोशी, डॉक्टर अयूब खान, साबुद्दीन खान, अधिवक्ता आनंद पुरोहित, अजय त्रिवेदी, अजय शर्मा, अनिल टाटिया सहित कई नाम टिकट दावेदारों में शामिल हैं। वहीं भाजपा की तरफ से मौजूदा विधायक सूर्यकांता व्यास, देवेंद्र जोशी, जगत नारायण जोशी, वरुण धानदिया, पूर्व महापौर घनश्याम ओझा, नरेंद्र कच्छवाहा सहित कई दावेदार सामने आ रहे हैं।

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अब तक का चुनावी इतिहास

कांग्रेस के नरपतराम ने लगाई जीत की हैट्रिक
साल 1977 में सूरसागर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। उस वक्त ये सीट एससी के लिए रिजर्व थी। चुनावी मैदान में कांग्रेस की तरफ से नरपतराम और जनता दल की ओर से मोहनलाल चुनावी मैदा में थे। कांग्रेस ने जीत के साथ इस सीट पर अपना खाता खोला और नरपतराम ने मोहनलाल को 1483 वोटों से हराया। 1980 के चुनावी में दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों पर भरोसा जता मैदान में उतारा, लेकिन नतीजा नहीं बदला। इस चुनाव में नरपतराम को 24317 तो वहीं भाजपा के मोहनलाल को 17722 वोट मिले। इसके बाद 1985 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने नरपतराम ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए, एक बार फिर भाजपा उम्मीदवार को हराया। इस चुनाव में नरपतराम को 36234 तो वहीं भाजपा के मोहन दास को महज 17423 वोट ही मिले।

मोहन मेघवाल ने कराई भाजपा की वापसी
सूरसागर विधानसभा में लगातार तीन बार से जीत रही कांग्रेस के विजय रथ को आखिरकार भाजपा के मोहन मेघवाल ने रोक दिया। साल 1990 में भी कांग्रेस ने नरपतराम पर ही भरोसा जताया, लेकिन वे जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके और 16132 वोटों से हार गए। इस चुनाव में मोहन मेघवाल को 59618 तो वहीं नरपतराम को 43486 वोट मिले। 1993 के विधानसभा चुनावों में एक बार मोहन मेघवाल और नरपतराम आमने-सामने थे, लेकिन परिणाम पिछले चुनाव जैसा ही रहा है। इस बार जनता ने मोहन मेघवाल को 53534 और नरपतराम को 50882 वोट दिए। हालांकि अगले चुनावों में भाजपा ने मोहन मेघवाल जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाए और कांग्रेस के भंवरलाल बालानी से 24512 वोटों से हार गए। भंवरलाल को 79561 तो वहीं मोहन मेघवाल को 55049 वोट मिले। हालांकि अगले चुनाव में मोहन मेघवाल ने फिर से वापसी करते हुए कांग्रेस के उम्मीदवार भंवरलाल बालानी को 5785 वोटों से हरा दिया।

2008 में हुई थी 'जीजी' की एंट्री
साल 2008 के विधानसभा चुनाव बीजेपी की सूर्यकांता व्यास ने कांग्रेस के सईद अंसारी को 5497 मतो से शिकस्त दी। बीजेपी की सूर्यकांता व्यास को 49154 और कांग्रेस के सईद अंसारी को 43657 वोट मिले थे। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक सूर्यकांता व्यास ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस के जैफू खान को 20328 मतों से हराया। बीजेपी की सूर्यकांता व्यास को 78172 और कांग्रेस के जैफू खान को 57844 वोट मिले थे। वहीं 2018 के चुनाव में एक बार फिर सूर्यकांता व्यास की जीत हुई। उन्हें 86,222 तो वहीं कांग्रेस को प्रो. अयूब खान को 81222 वोट मिले थे।