27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सिर साटे रूंख रहे,तो भी सस्तौ जाण..

363 शहीदों की याद में किया जाएगा पौधरोपण

2 min read
Google source verification
सिर साटे रूंख रहे,तो भी सस्तौ जाण..

सिर साटे रूंख रहे,तो भी सस्तौ जाण..

नंदकिशोर सारस्वत

जोधपुर। सिर साटे रूंख रहे,तो भी सस्तौ जाण। अर्थात पेड़ बचाने के लिए यदि शीश भी कट जाता है तो यह सौदा सस्ता है। जोधपुर शहर से 28 किलोमीटर दूर खेजड़ली वो धरती है जहां 15वीं सदी में विश्नोई समाज प्रर्वतक गुरु जम्भेश्वर के 29 नियमों की सदाचार प्रेरणा से 363 महिला-पुरुषों ने पर्यावरण संरक्षण को अपना धर्म मानते हुए 290 वर्ष पूर्व सन 1730 में अपने प्राणों का बलिदान किया। मरुभूमि का कल्पवृक्ष कहे जाने वाला खेजड़ी का पेड़ ऐसा है जिसकी पूरा बिश्नोई समाज मातृतुल्या भगवत् स्वरुप की तरह पूजा करता है। कोरोना महामारी सहित सैकड़ों प्राकृतिक आपदाओं के संकट की परिस्थिति में गुरु जम्भेश्वर के वन और वन्यजीवों को संरक्षण देने का संदेश आज भी प्रासंगिक है। गांव-ढाणियों में अमृतदेवी उपवन- वाटिका महाभियान प्रकृति संरक्षण को महत्व देने वाले गुरु जम्भेश्वर के बताए 29 नियमों में जीव दया पालणी, रूंख लीलौ नहि घावै और अमृतदेवी का एक नारा सिर सांठै रूंख रहे तौ भी सस्तौ जाण का अनुसरण विश्नोई समाज सदियों से करता आ रहा है। मारवाड़ और राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में बिश्नोई समाज की विभिन्न संस्थाओं की ओर से खेजड़ली के 363 शहीदों की स्मृति में अमृता देवी उप वन-वाटिका स्थापित हो रही है। इन वाटिकाओं में कम से कम 363 पौधे लगाकर उनकी नियमित देखभाल हो रही है।


इस बार नहीं भरेगा खेजड़ली मेला

जोधपुर. पेड़ों की रक्षार्थ प्राणों का परित्याग करने वाले 363 लोगों की याद में शुक्रवार को खेजड़ली में होने वाला पर्यावरण प्रेमियों का मेला कोरोना महामारी के कारण नहीं होगा। खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान जोधपुर के कार्यवाहक अध्यक्ष व विधायक महेन्द्र विश्नोई व खेजड़ली धाम के महंत स्वामी शंकरदास ने वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के दिशा निर्देशों की पालना करते हुए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी का मेला पूर्ण रूप से स्थगित रहेगा। मंदिर परिसर में भी मेलार्थियों का प्रवेश पूर्ण रूप से निषेध रहेगा। उल्लेखनीय है पेडों को बचाने के लिए जोधपुर शहर से 28 किलोमीटर दूर खेजडली में 290 साल पहले आज ही के दिन अमृता देवी के नेतृत्व में विक्रम संवत् 1787 को भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की दशमी को 363 लोगों ने प्राणोत्सर्ग किया था।

खेजड़ली शहीदों को श्रद्धासुमन

खेजड़ली मेले की पूर्व संध्या पर गुरुवार को गुरु जम्भेश्वर वन्यजीव सेवा एवं पर्यावरण विकास संस्थान की ओर से नई सड़क राजीव गांधी प्रतिमा के पास 363 दीप प्रज्ज्वलित कर खेजड़ली शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पुखराज खेड़ी ने बताया की सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए बीटीएफ के रामनिवास धोरू व भरत खेड़ी,हिम्मताराम भादू, इन्द्रजीत गीला, किशन एकलखोरी, भजन हिंगोली के संयोजन में दीपदान के बाद उपस्थित लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली।

363 शहीदों की स्मृति में होगा पौधरोपण

राजस्थान पत्रिका के महाभियान हरयाळो राजस्थान के तहत खेजड़ली के 363 शहीदों की याद में शुक्रवार को सघन पौधरोपण किया जाएगा। बिश्नोई टाइगर्स वन्य एवं पर्यावरण संस्था बिश्नोई टाईगर फोर्स की ओर से खेजड़ली वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर, गुरु जम्भेश्वर मंदिर जाजीवाल विश्नोईयान् वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर तथा एकलखोरी गांव के युवाओं की ओर से 363 पौधारोपण के साथ ही पौधे -वितरण किए जाएंगे। बीटीएफ संस्था प्रदेशाध्यक्ष रामपाल भवाद ने बताया पर्यावरण प्रेमियों के घर-घर में पौधें लगाने व अमर शहीदों की स्मृति में विभिन्न क्षेत्रों में साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


बड़ी खबरें

View All

जोधपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग