
चौंकाने वाला है नकली घी का असली सच, हकीकत जानकर खिसक जाएगी पैरों तले जमीन!
अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से नकली घी के अंदेशे में हर बार डेढ़ से ढाई हजार लीटर घी जब्त कर सीज कर दिया जाता है। हर आम के मन में यही संशय रहता है कि आखिर इतने नकली घी का सरकार या विभाग हश्र क्या करता है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि ये नकली आगे जाकर हमारे घरों में कपड़े चमकाता है। दरअसल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग नकली घी को सीज कर उन्हें कपड़ा धोने के साबुन बनाने वाली कंपनियों को नीलाम करता है। इस अखाद्य तेल को कई नामी व छोटी कंपनियां नीलामी में थोक के भाव हजारों लीटर ले जाती है। इस प्रकार नकली घी आगे अखाद्य तेल बनकर बाजार से हमारे घरों में आकर कपड़े चमकाता है।
दस साल में एक बार हुई नीलामी
गत दस वर्षों की बात करें तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक बार ही घी की नीलामी की है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने टैंडर के जरिए कई व्यापारियों को आमंत्रित किया। इसमें विभाग को 60 हजार रुपए की आय हुई है। वहीं वर्तमान में 30 हजार से अधिक लीटर घी को नीलाम करने की प्रक्रिया जारी है। कुछ और घी को नीलाम करने की तैयारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग कर रहा है।
यूं होता है नीलामी का निर्णय
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग घी जब्त करने का निर्णय तभी करता है, जहां पहली मर्तबा में ही नकली घी बनने की पोलपट्टी सामने आ जाती हो। ज्यादातर मामलों में स्वास्थ्य विभाग की सोच अनुरूप सैंपल जांच में अनसेफ आता है यानी जो बिलकुल खाने योग्य नहीं है। इस अनसेफ घी को कई बार व्यापारी चैलेंज करते है और सरकारी लैब के बाद दूसरी लैब में जांच कराने की मांग करते है। वहां भी सैंपल अनसेफ आने के बाद विभाग नीलाम की कार्रवाई करता है।
इनका कहना
अखाद्य नकली घी को नियमानुसार उच्चाधिकारियों के निर्देश पर नीलाम किया जाता है। इससे पहले लैब से रिपोर्ट आने का इंतजार भी करते हैं।
- डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ
Published on:
18 Feb 2020 11:22 am
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