जोधपुर का शहर विधानसभा क्षेत्र। भीतरी शहर का माणक चौक इलाका। जहां पास में त्रिपोलिया, मेहता मार्केट, लखारा बाजार, गाच्छा बाजार व घंटाघर इलाका हंै। खरीदारी के लिहाज से यहां शहरवासी व ग्रामीण लोग तक उमड़ते हैं। इलाके की अर्थव्यवस्था भी कमोबेश इसी पर आधारित है। यहां ज्यादातर लोगों ने अपने घरों के नीचे दुकानें मोटे दामों पर किराए दे रखी है। हालांकि यहां व्यापार करने वाले ज्यादातर व्यापारी दूसरी विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। सबसे बड़ी समस्या क्षेत्र में वाहन पार्र्किंग की है। इस समस्या से रहवासी, खरीदार व व्यापारी सभी परेशान हैं।
विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में इस इलाके को देखें तो यह वही जगह है, जहां के बूथ नम्बर 2 पर मौजूदा भाजपा विधायक कैलाश भंसाली को पूरे विधानसभा क्षेत्र में किसी भी एक बूथ के सर्वाधिक वोट मिले थे। मोटे तौर पर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण अल्पसंख्यक व अन्य वर्ग के मतदाताओं पर आधारित है। व्यापारियों और क्षेत्रवासियों से बातचीत में पता चला कि यहां विधायक आते नहीं है।
क्षेत्रवासी दीनदयाल सोनी ने कहा कि उनके विधायक कभी आकर झांकते तक नहीं है। जगह-जगह दुकानों के बाहर गाडिय़ों का जमावड़ा व यातायात हर समय जाम रहने की समस्या बनी रहती है। वे क्षेत्र में गंदगी से परेशान हैं। क्षेत्र में राजनीति के जानकारों का मानना है कि पिछले चुनाव में भाजपा लहर और बंधे वोट बैंक का फ ायदा भाजपा को मिला था। इस बार मतदाताओं का भूगोल्य बदल गया है। देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा अपना वोट बैंक कितना बरकरार रख पाती है और कांग्रेस इसे कितना बदल पाती है।
इसके अलावा इलाका आधारभूत ढांचा विकास के नजरिए से भी पिछड़ा ही नजर आया। क्योंकि यहां के नजारे हेरिटेज जैसे है। उसके बावजूद इस जगह को विशेष सहज के नहीं रखा जा रहा है। लखारा बाजार, मेहता मार्केट, गणपति मार्केट, तंबाकू गली व कटला बाजार सहित कई क्षेत्र के लोग इसी बूथ पर वोट करने आते हैं। कपड़े व घरेलू सामान की खरीदारी जैसे मार्केट यहां है। जबकि यहां सडक़ें ज्यादा अच्छी नहीं है। साफ-सफाई नियमित न होना बहुत बड़ी समस्या है। कुछ लोगों का कहना है कि सफाईकर्मी सुबह आते हैं, लेकिन दोपहर तक बाजार के कारण बहुत सारा कचरा बिखर जाता है। जबकि बूथ से कुछ मीटर की दूरी पर यहां बड़े-बड़े गेस्ट हाउस संचालित होते हैं। जहां विदेशी सैलानी आते हैं। इस लिहाज से भी क्षेत्र को विशेष आकर्षक नहीं बनाया गया है। हालांकि कर्ता-धर्ताओं ने भी कभी स्वप्रेरणा से इलाके की दशा सुधारने के लिए कुछ नहीं किया। सडक़ किनारे कचरे के ढेर आसानी से देखे जा सकते हैं। संवाददाता ने फोटो और वीडियो बनाने की प्रक्रिया शुरू की ही थी कि वहीं पास ही एक दुकान पर मौजूद अनिल आगे आया और बोला, भाईसाहब इस इलाके में कोई सुधार नहीं आ सकता। क्योंकि आज तक कोई जनप्रतिनिधि ढंग का नहीं आया। सुबह से शाम तक यहां कचरे के ढेर लगे रहते हैं। वोट मिलने के बाद जनता की कोई नहीं सुनता। हालांकि, इन तमाम हालातों के बीच दोनों दलों के जीत के दावे बरकरार हैं। वार्ड 37 के भाजपा पार्षद जयप्रकाश राखेचा का कहना है कि जनता बीजेपी के साथ है। इस बार भी सर्वाधिक मत बीजेपी को मिलेंगे।
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विधानसभा क्षेत्र- शहर
बूथ नम्बर : 68 मतदान केन्द्र- राउप्रावि प्रताप, नृसिंह दड़े के सामने, बायां भाग
2013 में मतदान-998 वोट कांग्रेस को मिले वोट-876
वोट लेकर गए, उन्हीं से पूछो शहर विधानसभा क्षेत्र का यह इलाका क्षेत्र के बिल्कुल मध्य में स्थित है। इसके एक ओर कुछ दूरी पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध महात्मा गांधी अस्पताल तो दूसरी और मेडिकल मार्केट जैसे इलाके आ जाएंगे। यहां सोजतिया घांचियों का बास इलाका बहुत फैला हुआ है। इस कारण यहां 998 मतदाता है। यह पूरा इलाका भीतरी शहर में आता है। आसपास बाजार और तंग गलियों से घिरा इलाका परकोटे के रहन-सहन व बनावट को भी दर्शाता है। यहां केबल का काम करने वाले सैय्यद भाई मिले, जो क्षेत्र की समस्याओं और लोगों से बहुत अच्छे से वाकिब है। हालांकि वे खुद आजकल सूरसागर विधानसभा क्षेत्र के इलाके में रहते है। उन्होंने सबसे बड़ी समस्या गंदगी की बताई।
2013 के चुनाव में सुपारस भंडारी प्रत्याशी थे। जो कैलाश भंसाली से पराजित हुए। स्थानीय राजनीति के जानकारों की मानें तो बूथ के इलाके में अल्पसंख्यक लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इसी कारण कांग्रेस को यहां बढ़त मिली। इसका फायदा कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में भी हो सकता है। कांग्रेस प्रत्याशी भंडारी के पक्ष में यहां से बम्पर वोटिंग हुई। हालांकि वे चुनाव जीतने में सफ ल नहीं हो पाए। हालांकि नगर निगम चुनाव में यहां वार्ड 38 के कांग्रेस प्रत्याशी घेवरचंद लूंकड़ पार्षद चुने गए। लूंकड़ ने कहा कि क्षेत्रवासी अपने विधायक तक को नहीं जानते। यहां लोग पार्षद स्तर पर संतुष्ट है, लेकिन विधायक स्तर पर नहीं। लोगों के अनुसार यहां बड़े स्तर पर कुछ नया बदलाव नहीं है।
यहीं के क्षेत्रवासी अब्दुल लतीफ का कहना है कि यहां कोई सफाई कर्मचारी नहीं आता। कचरा पड़ा रहना आम बात है। सडक़ें क्षतिग्रस्त हैं, बारिश के दिनों में गड्ढों में पानी भर जाता है। अधिकतर दिनों में रोड लाइटें खराब हो जाती है। एक सरकारी स्कूल थी, वह भी बंद हो गई। उन्होंने पिछली बार जिनको वोट दिया था, उनमें जीतने व हारने वाले दोनों प्रत्याशियों ने कभी आकर मुंह तक नहीं दिखाया। बातचीत के दौरान कई लोगों ने तो बोलने से ही मना कर दिया। लोगों ने जवाब दिया कि जो वोट लेकर जाते हैं, उन्हीं से पूछो। इस इलाके में निम्न से लेकर मध्यम व उच्च आय वर्ग सभी तरह के लोग निवास कर रहे हैं।