5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सरकारी वैद्यराज 30 हजार और निजी वैद्य 17 लाख का

AYUSH Rajasthan - प्रदेश में एकमात्र उदयपुर में है राजकीय आयुर्वेद कॉलेज, फीस सालाना मात्र 7 हजार रुपए- जयपुर व श्रीगंगानगर के निजी विवि हर साल लेते हैं करीब 3.75 लाख रुपए- भार्गव कमेटी ने तय कर रखी है 2 लाख रुपए सालाना

2 min read
Google source verification
सरकारी वैद्यराज 30 हजार और निजी वैद्य 17 लाख का

सरकारी वैद्यराज 30 हजार और निजी वैद्य 17 लाख का

जोधपुर. प्रदेश में राजकीय और निजी क्षेत्र में आयुर्वेद डिग्री के शुल्क में जमीन-आसमां का अंतर सामने आया है। उदयपुर स्थित मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में सालाना 6 हजार 979 रुपए फीस देनी पड़ती है, जबकि निजी क्षेत्र में जयपुर स्थित ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय सालाना 3.75 लाख और श्रीगंगानगर स्थित टांटिया विश्वविद्यालय 3.60 लाख रुपए सालाना ले रहा है। जोधपुर स्थित डॉ सर्वपल्ली राधानाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय सालाना 90 हजार रुपए फीस लेती है। यह 4.5 साल का कोर्स है। ऐसे में सरकारी कॉलेज में करीब 31 हजार और आयुर्वेद विवि में 4.05 लाख में कोर्स हो जाता है, जबकि ज्योति विद्यापीठ में 16.87 लाख और टांटिया विवि में 16.20 लाख रुपए में डिग्री पड़ती है। छात्रावास व परिवहन शुल्क अलग से लिया जाता है। प्रदेश में आयुर्वेद का सरकारी कॉलेज एकमात्र उदयपुर में ही है। ऐसे में हर छात्र वहां प्रवेश के लिए जी तोड़ कोशिश करता है लेकिन वहां केवल 73 सीटें ही है।

फीस निर्धारण कमेटी ने 2 लाख की सीमा तय की थी
राज्य सरकार ने फीस निर्धारण के लिए 2017 में राजस्थान हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एसएन भार्गव की अध्यक्षता में फीस निर्धारण कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने 23 अक्टूबर 2017 को सौंपी रिपोर्ट में आयुर्वेद डिग्री (बीएएमएस) के लिए 2 लाख, आयुर्वेद स्नातकोत्तर के लिए 2.25 लाख, होम्योपैथी स्नातक (बीएचएमएस) के लिए 1.30 लाख, यूनानी स्नातक (बीयूएमएस) के लिए 1.30 और प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग स्नातक (बीएनवाईएस) के लिए 90 हजार सालाना तय किए थे।

होम्योपैथी डिग्री सस्ती
भार्गव कमेटी ने होम्यापैथी स्नातक की सालाना फीस 1.30 लाख तय की थी। प्रदेश के समस्त निजी कॉलेजों में यह 1.30 लाख ही ली जाती है। निजी विवि ज्योति विद्यापीठ 1.25 लाख रुपए और टांटिया विवि श्रीगंगानगर केवल 1.10 लाख रुपए ही सालाना लेता है।

फीस देखकर प्रवेश लें
राजस्थानी यूजी/पीजी काउंसलिंग बोर्ड की ओर से निजी विश्वविद्यालयों द्वारा अधिक फीस का मुद्दा उठाया गया था लेकिन राज्य सरकार व बोर्ड के स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। निजी विवि का तर्क था कि उन्हें अपनी फीस निर्धारण करने का अधिकार है। ऐसे में इस बार काउंसलिंग बोर्ड ने अपनी बुकलेट में यह भी छपवा दिया कि छात्र छात्राएं किसी भी संस्थान में फीस देखकर ही प्रवेश लें, बाद में बोर्ड जिम्मेदार नहीं होगा।