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केंद्र सरकार ने माना कोविड-19 के बाद ऑनलाइन कक्षाओं में भारी चुनौतियां

iit jodhpur news - आइआइटी के वर्चुअल स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. मिश्रा, कहा- न्यू नॉर्मल में सब कुछ नॉर्मल होने में समय लगेगा

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केंद्र सरकार ने माना कोविड-19 के बाद ऑनलाइन कक्षाओं में भारी चुनौतियां

केंद्र सरकार ने माना कोविड-19 के बाद ऑनलाइन कक्षाओं में भारी चुनौतियां

जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने माना कि कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों में स्कूल व कॉलेजों में कक्षाएं लगाना, परीक्षा करवाना और ऑनलाइन कक्षाएं लगाना चुनौती है। उन्होंने न्यू नॉर्मल में देश द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सराहते हुए कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि कक्षा में पढ़ाने वाला शिक्षक ऑनलाइन कक्षा भी उतनी ही बेहतर तरीके से ले सके। डॉ. मिश्रा ने ऑनलाइन एजुकेशन में 5 चुनौतियां बताई। डॉ. मिश्रा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जोधपुर के रविवार को आयोजित वर्चुअल स्थापना दिवस समारोह को दिल्ली से बतौर मुख्य वक्ता ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।

ये बताई ऑनलाइन एजुकेशन की पांच चुनौती
1: मूल्यांकन मॉडल में किफायती बदलाव कर दूर बैठे परीक्षा लेना
2: रिसर्च लैब से छात्रों की दूरी को कम करके वर्चुअल टूल बॉक्स स्थापित करना
3 : फिजिकल फेस टू फेस इंट्रेक्शन को ऑनलाइन भी उतना ही मजबूत करना्र
4 : बहुभाषीय पाठ्यक्रम तैयार करना ताकि अंग्रेजी के नोट्स को स्थानीय भाषा में ट्रांसलेट किया जा सके
5 : शिक्षकों की खुद की कैपेसिटी बिल्डिंग करना ताकि वे छात्र छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाने के योग्य हो सके।

सैंकड़ों छात्रों ने एक ही सवाल किया, आइआइटी ने पूछा नहीं
समारोह में डॉ. मिश्रा के अलावा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे भी थे। कार्यक्रम अपराह्न 4 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक चला। इसका यू-ट्यूब व फेसबुक पर लाइव प्रसारण हुआ। कार्यक्रम में अतिथियों से प्रश्न-उत्तर का 15 मिनट का सेशन भी था इसलिए मैसेज बॉक्स में सैंकड़ों छात्रों ने अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजन को लेकर प्रश्न दागे। दो घंटे तक छात्र विभिन्न एकेडमिक परीक्षाओं के साथ नीट व जेईई जैसी परीक्षाओं के रद्द करने को लेकर सवाल पूछते रहे लेकिन सेशन के दौरान आइआइटी में कार्यक्रम संचालनकत्र्ता डॉ. अंकिता शर्मा ने केवल नई शिक्षा नीति को लेकर ही डॉ. पीके मिश्रा और अमित खरे से सवाल किए। इसके उलट बमुश्किल ही किसी छात्र ने मैसेज बॉक्स में शिक्षा नीति को लेकर सवाल किया होगा। कार्यक्रम खत्म होने के बाद छात्र अपने आपको ठगा सा महसूस करने लगा।