
RTI--- जीपीएफ लेजर में पहले राशि जोड़ी, फिर सेवानिवृत्ति पर गायब की
जोधपुर।
देश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू हुए मंगलवार को 16 साल पूरे होने जा रहे है। यदि यह कानून लागू नहीं होता तो शायद ही सेवानिवृत राज्य कर्मचारी अपने जिन्दगी भर की राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (जीपीएफ ) में जमा पूंजी प्राप्त कर पाता। जिन्दगी भर सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद जीपीएफ कटौती की पूरी राशि ब्याज सहित उन्हें घर बैठे मिलनी चाहिए। जबकि जीपीएफ विभाग अपनी मनमर्जी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लेजर में से राशि गायब करके कम भुगतान कर रहा है। इस कारण से सेवानिवृत कर्मचारियों में रोष पैदा हो रहा है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आए है।
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केस 1
दिनेश कुमार पेडीवाल जलदाय विभाग जोधपुर से 31 दिसम्बर 2020 को अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता के पद से सेवानिवृत हुए। आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत अपने जीपीएफ खाता सं. 470647 की लेजर प्रतियां प्राप्त कर जांच की तो पाया कि वर्ष 1998 में उनके लेजर में जमा पांचवा वेतन एरियर राशि 31289 रुपए सेवानिवृत्ति पर अन्तिम भुगतान करते समय उनके लेजर में से गायब कर दी। जीपीएफ विभाग जोधपुर शहर ने सेवानिवृति से पूर्व उनके लेजर में 5वें वेतन की राशि जमा कर वर्ष 2002-03 में उनकी जीपीएफ पासबुक में इस राशि को जमा करने का सत्यापन किया। सेवानिवृत्ति पर उक्त राशि लेजर में से गायब करने के कारण पेडीवाल को दो लाख अठारह हजार का सेवानिवृति के समय जीपीएफ में कम भुगतान मिला। अपना हक पाने के लिए विभाग से पत्र व्यवहार कर रहे है।
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केस 2
राजेश माथुर अध्यापिका के पद से प्रारम्भिक शिक्षा विभाग मण्डोर से 30 सितम्बर 2013 को सेवानिवृत्त हुई। सेवानिवृत्ति पर उनको जीपीएफ खाता सं. 261486 में कम भुगतान होने का अंदेशा हुआ। आरटीआई के तहत जीपीएफ कार्यालय जोधपुर शहर से लेजर प्रतियां प्राप्त कर उसकी जांच कर, बकाया राशि 243000 रुपए का दावा प्रस्तुत किया। विभाग ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए मार्च 2021 में बकाया राशि में से 128528 रुपए का भुगतान जारी किया। उक्त भुगतान राशि कम थी। माथुर ने पुन: आरटीआई के तहत लेजर प्राप्त किए तो उसमें भी अनियमितताएं पाई गई। शेष राशि भुगतान करते समय वर्ष 1999 में जमा एरियर राशि 14659 रुपए उनके लेजर में से गायब कर दी जबकि उक्त राशि जीपीएफ कार्यालय बाड़मेर से स्थानान्तरित होकर आई। लेजर में से गायब की गई राशि 14659 रुपए ब्याज सहित 85000 रुपए होते है। उक्त राशि प्राप्त करने के लिए प्रार्थी विभाग के चक्कर लगा रही है।
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अधिकारी नहीं उठाते फोन
जब इस मामले में विभाग के संबंधित अधिकारियों से फोन पर बात करने का प्रयास किया गया, तो उनकी ओर से फोन नहीं उठाया गया।
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Published on:
12 Oct 2021 11:24 pm
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