
अगर लॉकडाउन में बढ़ गया है आपका वजन तो हो जाइए सावधान, कोरोना कभी भी कर सकता है हमला
अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. लॉक डाउन ने एक समस्या को बढ़ाया है वह है वजन बढऩे की। लॉकडाउन मोटापे में योगदान देने वाली विभिन्न आदतों के लिए एक खतरनाक वातावरण देने भी साबित हुआ है। इसने फि जिकल एक्टिविटी एवं खानपान के व्यवहार में बदलाव किया है। एक सर्वे में पता चला है की एक तिहाई लोगों के तीन किलो तक का वजन बढ़ा है।
एम्स जोधपुर में जनरल सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेन्द्र लोढ़ा ने बताया कि मोटापे को नियंत्रित करने के लिए जानना जरूरी है कि मोटापे को कैसे नापा जाए ? नापने के लिए वैज्ञानिक बहुत सारे पैरामीटर काम में लेते हैं। जिसमें वजन, बीएमआई, कमर एवं जंगा का अनुपात।
बीएमआई एक एंट्रोप्रोमेटिक पैरामीटर है। बीएमआई बताता है कि किसी के शरीर का भार उसकी लम्बाई के अनुपात में ठीक है या नहीं। सर्जन डॉ. लोढ़ा ने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति का बीएमआई 18.5 से 24.99 के बीच हो सकता है। 25 से 29.99 के मध्य वाले को ओवर वेट कहा जाता है। 30 के ऊपर वाले को ओबेसिटी कहा जाता है।
अमरीका में मोटे लोगों की कोरोना से ज्यादा मौत
वर्ष 2009 में इन्फ्लुएंजा वायरस एवं वर्तमान कोरोना पेंडेमिक में किए गए रिसर्च में पाया गया कि मोटापा वायरस जनित रोगों के लिए एक स्वतंत्र रिस्क फैक्टर है। न्यूयॉर्क में कोरोना की गंभीर बीमारी से मरने वालों की दर एक सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा मोटे लोगो में दुगुनी पाई गई। मोटापा डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल,कैंसर,गॉलब्लेडर स्टोन की बीमारी के लिए रिस्क फैक्टर है।
मोटापे से कोरोना वायरस से शरीर के लडऩे की क्षमता भी प्रभावित होती है। जबकि भारतीयों का हृदय एवं फेफ ड़ों की कार्य क्षमता यूरोपियन से कम होती है क्योंकि हमारे शरीर में वसा की मात्रा ज्यादा है एवं यह वसा पेट की चमड़ी एवं पेट के अंदर पाई जाती है। जिसका सीधा प्रभाव पेट के अंगों पर पड़ता है।
Published on:
07 Jun 2020 02:59 pm
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