इस लिए दायर हुई अवमानना याचिका वर्ष २००७ तक हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की ओर से जनहित में जारी निर्देशों को पूरा नहीं करने पर सरकार के खिलाफ दायर की गई इस अवमानना याचिका में शुक्रवार को शहर की द्वितीय रिंगरोड की सुनवाई होनी थी। इसके लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने कहा कि रिंगरोड की जिम्मा एनएचएआई के पास है। एेसे में दोपहर में दुबारा सुनवाई हुई तथा एनएचएआई के निदेशक एसके मिश्रा प्रोजेक्ट के साथ पेश हुए। पशुबाड़ों व तालाब की राशि का क्या हुआ याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक छंगाणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शहर से पशु डेयरियों को नहीं हटाया जा रहा है। शहर में आवारा पशुओं की भरमार है। पशुओं को नगर निगम के कर्मचारी पकड़ते हैं और पैसा लेकर छोड़ देते हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि समय सीमा तय करते हुए पशु डेयरियों को शिफ्ट किया जाए। छंगाणी ने शहर में २५ करोड़ की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगाने में सरकारी ढीलाई का मामला भी उठाया।