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Jodhpur: भविष्य में ‘काजरी का बेर’ होगा खजूर

- काजरी में खजूर की बम्पर पैदावार, एक ही साल में दुगुना उत्पादन - 150 पौधों से मिले तीन हजार किलो खजूर

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जोधपुर. थार की जमीन पर विकसित की गई खजूर की किस्म ‘एडीपी-1’ धूम मचा रही है। इस साल ‘एडीपी-1’ से पिछले साल की तुलना दुगुना उत्पादन हुआ है। पिछले साल 150 पौधों से 1500 किलो खजूर उत्पादन हुआ था, जो इस साल बढक़र 3000 किलो हो गया है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि वह दिन दूर नहीं, जब काजरी के बेर की तरह खजूर भी खास पहचान कायम करेगा।

गुजरात की आणंद यूनिवर्सिटी और बीकानेर शुष्क बागवानी संस्थान के साथ मिलकर काजरी टिश्यू कल्चर तकनीक से खजूर का उत्पादन कर रहे हैं। तीन साल पहले आणंद यूनिवर्सिटी से प्राप्त ‘एडीपी-1’ वैरायटी से इस बार बम्पर पैदावार हुई है। काजरी परिसर में एडीपी-1 ैरायटी के 150 पौधों से खजूर के बड़े-बड़े गुच्छे लटक रहे हैं। पिछले साल काजरी ने 60 हजार रुपए में खजूर का ठेका दिया, जो इस साल 2.53 लाख रुपए हो गया है।

भविष्य में काजरी का ‘बेर’ साबित होगा

सीरियन वैरायटी से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन ‘एडीपी-१’ से भरपूर उत्पादन हुआ है। जोधपुर की जलवायु में इस ने कमाल कर दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. टीसी महापात्रा ने इसे सराहा है। आने वाले समय में काजरी के बेर की तरह काजरी का खजूर भी पूरी दुनिया में धूम मचाएगा।
डॉ. ओमप्रकाश यादव, निदेशक, काजरी, जोधपुर