
ऐतिहासिक मंडोर उद्यान के 100 साल पुराने पेड़ खत्म होने के कगार पर
जोधपुर. मारवाड़ की राजधानी रहे ऐतिहासिक मंडोर क्षेत्र के प्रमुख उद्यान में पिछले चार सालों से 100 साल पुराने विशाल पेड़ों के धराशाही होने से हनुमान लंगूरों के साथ विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों के आवास भी उजड़ रहे है। मंडोर क्षेत्र में पांच टोलों में 300 हनुमान लंगूर है जो रात्रि प्रवास पेड़ों पर ही करते है। सिंचाई विभाग, पर्यटन विभाग, पुरातत्व विभाग और पीडब्ल्यूडी की सहभागिता के बावजूद उद्यान के हाल बदहाल है। मंडोर का ऐतिहासिक किला भारत सरकार के अधीन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है तो मंडोर राजकीय संग्रहालय, जनाना महल, इक थंबा महल जैसी धरोहर राजस्थान के पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंडोर के ऐतिहासिक देवलों की देखरेख मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट कर रहा है। इतने सारे विभागों के बावजूद मंडोर में पिछले चार साल में 100 साल पुराने 200 से अधिक विशाल पेड़ों के खात्मे की भरपाई नहीं हो रही है। पर्यटकों को लिए लगाए झूले भी दुर्दशा का शिकार है।
साल दर साल खत्म हो रही हरियाली
मंडोर उद्यान में पिछले चार सालों से लगातार हरियाली का खात्मा होता जा रहा है। तीन जुलाई 2016 को चक्रवाती तूफान के कारण मंडोर उद्यान में लगे सौ साल पुराने इमली, जामुन, पीपल के 75 से अधिक विशाल पेड़ एक साथ गिर गए। तब तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता ने पेड़ों की भरपाई के लिए उद्यान परिसर में नए सिरे से सघन पौधरोपण की घोषणा भी की थी। उसके बाद हर साल वर्षाकाल में लगातार पेड़ ध्वस्त होते जा रहे है। इस बार भी फिर 5 जुलाई की रात बरसात के कारण पीपल के पेड़ धराशाही हो गए। मंडोर उद्यान के फुटपाथ पर बने पक्के फर्श से हरे भरे पेड़ों की जड़ों को पानी न मिलने कारण भी सैकड़ों पेड़ धराशाही हो चुके है।
नहींं बन सका उद्यान विकास का प्लान
पीडब्ल्यूडी कोर्ट के आदेश के बावजूद मंडोर उद्यान के विकास का प्लान तक नहीं बना सका है। जबकि राज्य सरकार ने बिना प्लान के ही मंडोर उद्यान विकास के लिए 13.5 करोड़ मंजूर कर लिए थे। न्यायालय ने विभाग से मंडोर उद्यान के विकास के लिए 13.5 करोड़ का प्लान सबमिट के लिए समय दिया था लेकिन लॉकडाउन के कारण संभवत: विलंब हो रहा है। मंडोर उद्यान की दुर्दशा को लेकर जनहित याचिका दायर करने वाले राजवेन्द्र सारस्वत का कहना है कि कोर्ट का डायरेक्शन था कि पहले उद्यान विकास का परफेक्ट प्लान बनना चाहिए। उद्यान विकास के लिए केवल 13.5 करोड़ की जगह आगामी एक दशक तक विकास के लिए यह राशि ज्यादा भी तो हो सकती है।
Published on:
11 Jul 2020 12:00 am
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