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काम के साथ मिली समाजसेवा से पहचान

टेक ऑफ कॉलम

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काम के साथ मिली समाजसेवा से पहचान

काम के साथ मिली समाजसेवा से पहचान

नाम - चीफ संजय जैन
स्टडी - चार्टड अकाउंटेट

कार्यक्षेत्र - मैन्युफेक्चरिंग इंडस्ट्री, स्टील और समाजसेवा

जोधपुर।

मैं चीफ संजय जैन, मूल रूप से जोधपुर का ही रहने वाला हूं, लेकिन पिछले 30 साल से नाइजरिया में रह रहा हंू। अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई करने के बाद मैंने मुम्बई और अहमदाबाद जैसे शहरों में देश की बड़ी कंपनियों के साथ काम किया। इसी दौरान 1992 में मुझे मौका मिला नाइजीरिया में तब की प्रतिष्ठित कंपनी चेनराय गु्रप ऑफ कंपनीज में काम करने का। मैंने तब स्विच किया और वहां रहने लगा। इसके बाद वहां कई कंपनियों में काम किया और सफलता मिलती गई। अपने प्रोफेशनल कार्य के साथ समाजसेवा से भी जुड़ा हूं। अब मैं जिस स्टील कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर हूं। समाजसेवा के क्षेत्र में इंडियन कल्चरल एसोसिएशन के साथ पिछले 25 साल से जुड़ा हूं और वर्तमान में इसका अध्यक्ष भी हूूं। समाजसेवा में अग्रणी भूमिका को देखते हुए मुझे नाइजीरिया के किंग ने 2008 में चीफ टाइटल दिया। इसके साथ ही मुझे आशी-वाजु की उपाधि दी गई जिसका मतलब लीडर ऑफ द कम्युनिटी है। कोरोना का संकट का जो दौर था उसमें हमारी संस्था ने कई सेवा कार्य किए। जिसमें कई लोगों को भोजन बांटे, सेनेटाइजर मशीनें लगाई। इससे पहले भी नाइजीरिया में स्कूलों में पानी की सुविधा के लिए प्याऊ, ओल्डएज होम व अनाथालयों को मदद करते आए हैं। हालही में भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय सम्मान भी दिया, यह पहली बार नाइजीरिया में किसी को दिया गया है। इससे पहले 2006 में हिंद रत्न अवार्ड भी मिल चुका है। जो लोग यह सोचते हैं कि सफलता शॉटकर्ट से मिलती है उनको यह समझना होगा कि लगातार मेहनत और सही निर्णय लेना जीवन में काफी जरूरी है। जिससे कि सफलता स्थाई बनी रहती है।
अनुभव

- 35 सालों से भी ज्यादा का अनुभव है।
- 30 साल से नाइजीरिया में अलग-अलग कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं।

- नाइजीरिया में कई सम्मान व भारत सरकार से भी प्रवासी भारतीय सम्मान मिल चुका है।