21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रतिदिन बह रहे 160 मिलियन लीटर पानी से बढ़ रहा जोधपुर का भूजल स्तर, आईआईटी ने निकाला तोड़

शहर की प्रमुख समस्या भू-जल स्तर के निरंतर बढऩे को लेकर जोधपुर आईआईटी की ओर से किए गए शोध के अनुसार प्रतिदिन 160 मिलियन लीटर पानी भूगर्भ में जा रहा है। इस कारण से शहर का भू-जल स्तर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने का उपाय भी आईआईटी ने सुझाया है।

2 min read
Google source verification
IIT Jodhpur, increasing ground water level at jodhpur, water crisis, jodhpur water table, water management, water treatment, jodhpur news, news in hindi

IIT Jodhpur, increasing ground water level at jodhpur, water crisis, jodhpur water table, water management, water treatment, jodhpur news, news in hindi

शहर की प्रमुख समस्या भू-जल स्तर के निरंतर बढऩे को लेकर जोधपुर आईआईटी की ओर से किए गए शोध के अनुसार प्रतिदिन 160 मिलियन लीटर पानी भूगर्भ में जा रहा है। इस कारण से शहर का भू-जल स्तर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने का उपाय भी आईआईटी ने सुझाया है। आईआईटी के निदेशक सीवीआर मूर्ति के अनुसार शहर में दो लाइनें डालने का कार्य किया जाए, जिसमें से एक सामान्य सीवरेज का पानी हो और अन्य में बरसात का पानी।

सरकार ने 8वीं के लिए नहीं छपवाई अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें, लाखों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर!

शोध के अनुसार प्रतिदिन 210 मिलियन लीटर पानी घरों की रसोई, शौचालय से सीवरलाइनों में आता है। इसमें केवल 50 मिलियन लीटर पानी वापस शोधित होता है, जबकि 160 मिलियन लीटर पानी सीधे भूगर्भ में चला जाता है। जिससे शहर के भूजल स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हैरत की बात यह है कि पहले 20 मीटर नीचे तक भूजल स्तर था। जो पिछले 20 सालों से बढ़ता-बढ़ता 3 मीटर तक आ गया है।

नेशनल सीनियर कबड्डी चैम्पियनशिप के टीमें ग्राउंड के बाहर दोस्त, अंदर प्रतिद्वंद्वी : अनूप

कई जगहों पर तो हालत यह है कि एक मीटर पर ही भूजल स्तर आ चुका है। इस कारण कायलाना में क्रेक नहीं, बल्कि लगातार पानी का शोधित नहीं होना है। इससे जोधपुर शहर में कई जगह 'बॉउल शेपÓ जैसी स्थिति हो गई है। जहां पर आस-पास में बिल्डिंग है और बीच में भूजल स्तर इतना बढ़ गया है कि घरों में बेसमेंट तक की अनुमति नहीं दी जा रही है।

अब ऑनलाइन मंगवाओ सहकारी सामान

छोटे ट्रीटमेंट प्लांट की आवश्यकता

आईआईटी निदेशक के अनुसार शहर में अब बड़े ट्रीटमेंट प्लांट की जगह हर थोड़ी दूरी पर छोटे-छोटे ट्रीटमेंट प्लांट की आवश्यकता है। इससे पानी जल्दी शोधित होगा और उस पानी का उपयोग हम खेती सहित अन्य स्थानों पर भी कर सकते हहे। आईआईटी खुद भी अपने स्तर पर एक छोटा ट्रीटमेंट प्लांट भी प्रायोगिक तौर पर बनाकर इसका उपयोग करेगा।

काजू-बादाम से महंगे मारवाड़ के कैर-सांगरी

पानी पम्पिंग पर हर साल 10 करोड़ रुपए खर्च

जोधपुर शहर में हर साल भूजल को पंपिंग करने के लिए 10 करोड़ रुपए खर्च होते है,जबकि यह पानी को पंपिंग करने के बाद भी यह पानी वापस जाता भूगर्भ में ही है। इससे प्रतिवर्ष खर्च होने वाले 10 करोड़ रुपए भी व्यर्थ हो रहे है।

ये भी पढ़ें

image