ये कहानी ‘विटिलिगो’ (सफेद कोढ़) जैसी बीमारी से लडऩे वाली जोधपुर मूल की ब्रिटिश नागरिक नीनू की है, जिनका दिल आज भी भारत के लिए धड़कता है और वह खुद से प्यार करती है। इसी जज्बे ने उन्हें औरों से हटकर खड़ा कर दिया है। नीनू को १२ साल की उम्र में ही विटिलिगो के लक्षण (सफेद निशान) दिखाई देने लगे थे। उसके कुछ साल बाद ही वह उसे छुपाने की बजाय फिटनेस मॉडल बनकर विटिलिगो से लडऩे लगी, फिर १२ साल के सफर में उसने ये जंग जीत ली और सामाजिक दंश की पीड़ा को महसूस करना तो दूर उसे अपने पास फटकने तक नहीं दिया। नीनू का जन्म जोधपुर में ही हुआ है लेकिन नीनू अपनी व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में बात करने की बजाय पेशेवरी जिंदगी के संघर्ष को ही बया करती है। इसलिए नीनू ने जोधपुर में अपने पुराने घर और माता पिता के बारे में जानकारी नहीं दी।
फैशन व फिटनेस प्रतियोगिता में जमाई धाक-
इस बीमारी से पीडि़त लोगों को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन नीनू ने विटिलिगो का इलाज भी बंद कर दिया। एक फिटनेस मॉडल के रूप में खुले में रैंप पर कैटवॉक कर अपने शरीर पर बीमारी से पड़े सफेद धब्बों को टे्रडमार्क बनाकर दिखाया। नीनू ने हाल ही में ब्रिटेन में हुई फैशन और फिटनेस प्रतियोगिता में टॉप-३ में अपनी जगह बनाई। तब से उनका टे्रडमार्क ब्रिटेन में एक नया फैशन स्टेटमेंट बनकर उभरा है। वह ब्रिटेन में एक सफल प्रोपर्टी डवलपर व्यवसायी भी हंै जो विटिलिगो से पीडि़त मरीजों को सामाजिक संदेश देने के लिए कुछ ही दिन में भारत आ रही हैं।