25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

international women’s day 2018 : अनपढ़ मां ने 25 साल कमठा मजदूरी कर बेटियों को करवाया बीए, एमए

-विधवा मनुदेवी ने आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों से लड़कर पेश की मिसाल

2 min read
Google source verification
Women's Day,women's day 2018,International Women's Day 2018,international womens day 2018 theme,

आगोलाई/बासनी (जोधपुर).
किस्मत ने भले ही मनुदेवी पर आज से 25 साल पहले दुखों के पहाड़ ढहाए हों, लेकिन एक जुझारु औरत के बुलंद हौसलों के आगे परिस्थितियों को भी घुटने टेकने पड़े। जिले के बालेसर उपखंड की आगोलाई गांव की पचास वर्षीय विधवा मनुदेवी ने अपनी हिम्मत व मेहनत से महिलाओं के लिए मिसाल पेश की है।
पिछले करीब 25 साल से पत्थर की खानियों, मनरेगा व कमठे पर मजदूरी कर अपने परिवार को पाला-पोषा तथा अपने बच्चों को शिक्षित बनाया। बेरू गांव में जन्मी मनुदेवी का सोलह वर्ष की उम्र में घरवालों ने बाल-विवाह करके ससुराल भेज दिया। ससुराल आने के सात-आठ साल बाद पति राजूराम सड़क दुर्घटना में घायल हो गया। दुर्घटना के बाद पति को टीबी व सिलोकोसिस की बीमारी लग गई। इसका सात साल तक मनुदेवी ने इलाज करवाया लेकिन पति को बचा नहीं सकी। पति की मृत्यु के बाद तो मनुदेवी पर समस्याओं का पहाड़ टूट गया। कर्जा, परिवार पालना, सामाजिक रिवाजों को निभाना। इससे घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई। ससुराल व मायके वालों से मदद की गुहार की लेकिन कोई मदद नहीं मिल पाई। इसके बाद भी मनुदेवी ने हिम्मत नहीं हारते हुए केरू खानियों में तगारी लेकर मजदूरी शुरू की जो आज दिन तक जारी है।


बच्चों के लिए सामाजिक बंधनों को तोड़ा
मनुदेवी के पांच बच्चे हैं जिसमें दो लड़के व तीन लड़कियां हैं। मनुदेवी बताती हैं कि पति को गुजरे करीब 18 साल से अधिक समय हो गया है। पति की मृत्यु के बाद सिर पर तगारी रखकर अनपढ़ मनुदेवी ने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने बच्चों को पढ़ाया। मनुदेवी बताती हैं कि आस-पास के लोग व समाजवाले विभिन्न रीति रिवाजों का हवाला देकर लड़कियों को ज्यादा नहीं पढ़ाने की बात करते थे। इसके बावजूद मैंने खुद यह तय किया कि किसी भी हालत में बच्चों को पढ़ाऊंगी, खासकर लड़कियों को। पिछले पच्चीस वर्षों से लगातार न्यूनतम मजदूरी करके मनुदेवी ने अपने सभी बच्चों को पढ़ाया। सबसे बड़ी लड़की सुमित्रा को 12 वीं तक शिक्षा दिलाकर शादी की जो आज अपने ससुराल में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी कर रही है। दूसरी लड़की सीता की भी शादी कर दी। सीता वर्तमान में जेएनवीयू जोधपुर से समाजशास्त्र में एमए कर रही है। सबसे छोटी लड़की भावना वर्तमान में बीए तृतीय वर्ष में अध्ययनरत है। बड़ा पुत्र हीराराम आठवीं पास है। दूसरा पुत्र राकेश जोधपुर में इलेक्ट्रीशियन कोर्स में आईटीआई कर रहा है। छोटी लड़की भावना को छोड़ कर सभी बच्चों की शादी कर दी गई है। गांवों की सामाजिक कुरीतियों को सहते हुए मनुदेवी ने अपने परिवार को पढ़ाया और पचास की उम्र में आज भी कमठे पर पत्थर डाल कर बच्चों का भविष्य संवारने में जुटी हुई है।


बड़ी खबरें

View All

जोधपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग