
jai narain vyas university : प्राथमिक स्रोतों पर कार्य करना शोध की अनिवार्य शर्त
मुख्य वक्ता डॉ. दलपत सिंह ने दादूपंथ पर सद्य प्रकाशित पुस्तक सुंदर के स्वप्न पर विस्तार से परिचर्चा की। उन्होंने आरंभिक आधुनिकता एवं सुंदरदास की कविता एवं समाज पर प्रकाश डाला। पुस्तक के एक अध्याय काव्यशालाओं के संत पर बहुत ही गंभीर चर्चा हुई। लेखक के साथ पुस्तक चर्चा हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. महेंद्र सिंह ने की। शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का निवारण भी लेखक ने किया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर महीपाल सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्य वक्ता हमारे विभाग के ही पूर्व विद्यार्थी हैं, जो गर्व एवं हर्ष का विषय है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर किशोरी लाल रैगर अधिष्ठाता कला संकाय, सिंडिकेट सदस्य ने कबीर की संवेदनाओं पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में सिंडिकेट सदस्य एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष एस.के. मीणा ने संबोधित किया तथा आभार प्रकट किया। संचालन शोधार्थी विभा पारीक ने किया। सभागार में प्रोफेसर रामवीर सिंह शर्मा, प्रोफेसर सरोज कौशल, डॉ. श्रवण कुमार, डॉ. प्रेम सिंह, डॉ. कीर्ति माहेश्वरी, कामिनी ओझा, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. प्रवीण कुमार, श्री प्रकाश देथा, डॉ. मीनाक्षी बोराणा, डॉ. धनंजया अमरावत डॉ.गजे सिंह राजपुरोहित, डॉ. महेंद्र पुरोहित डॉ. भगवान सिंह शेखावत डॉ. ललित पवार, डॉ. सुरेश चौधरी, डॉ. राजेंद्र सिंह खींची, डॉ ऋषभ गहलोत, डॉ विभा भूत, श्री दशरथ सोलंकी, डॉ. अर्जुन सिंह राजपुरोहित, दीपक सिंह तथा हिंदी विभाग के बहुत से शोधार्थी विद्यार्थी तथा शहर के साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
Published on:
22 Dec 2022 05:31 pm
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