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नव भारत अभियान : आत्मनिर्भर बनने की राह में ‘मारवाड़ के कपड़े’ को चीन से चुनौती

जोधपुर के साथ पाली और बालोतरा के कपड़े का एक संयुक्त क्लस्टर बनाने की प्रक्रिया कई सालों से चल रही है, लेकिन सरकारी स्तर पर इसे सफलता नहीं मिली है। हाल ही केन्द्र सरकार को मारवाड़ के कपड़ा उद्योग को चीन से मिल रही चुनौती से अवगत करवाया गया है।

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15 industries will be set up in the district, investment of 21.30 cror

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अविनाश केवलिया/जोधपुर. आत्मनिर्भर भारत अभियान जोर-शोर से ब्रांड पब्लिसिटी के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन मारवाड़ का कपड़ा उद्योग इसमें भी संघर्ष करता ही नजर आ रहा है। एक तो कोविड-19 व लॉकडाउन के कारण श्रमिकों की कमी और अब जोधपुर, पाली और बालोतरा में बनकर देश के अलग-अलग हिस्सों में जा रहे कपड़े को हर जगह चीन के सस्ते कपड़े से कड़ी चुनौती मिल रही है।

जोधपुर के साथ पाली और बालोतरा के कपड़े का एक संयुक्त क्लस्टर बनाने की प्रक्रिया कई सालों से चल रही है, लेकिन सरकारी स्तर पर इसे सफलता नहीं मिली है। हाल ही केन्द्र सरकार को मारवाड़ के कपड़ा उद्योग को चीन से मिल रही चुनौती से अवगत करवाया गया है। ऐसे में टैक्सटाइल सेक्टर की कुछ नीतियों में भी बदलाव की उम्मीद है। मारवाड़ के कपड़ा उद्यमियों का मानना हैं कि सरकार सहयोगात्मक रवैया अपनाए तो इस क्लस्टर की स्थिति काफी सुधर जाएगी।

एक नजर कपड़ा उद्योग पर
पाली - पाली में करीब 800 इकाइयां कपड़ा प्रोसेस करती है। सालाना 10 से 12 हजार करोड़ का टर्नओवर है। राजस्थान टैक्सटाइल हैंड प्रोसेस एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बम्ब के अनुसार पहले यहां बनने वाले रूबिया कपड़े की जगह चीन के सस्ते स्ट्रेचेबल कपड़े ने ले ली। व्यापारी निमित लश्करी ने बताया कि कलर कैमिकल और दूसरा रॉ-मेटेरियल चीन से ज्यादा आता है।

बालोतरा - 700 यूनिट में 7 हजार करोड़ से अधिक का वार्षिक टर्नओवर है। आत्मनिर्भर बनने की राहत में बालोतरा ने कदम बढ़ाए हैं। यहां के व्यापारी सिद्धार्थ जैन बताते हैं कि जैसे ही चीन से सामान लेना बंद किया तो यहां मास्क व पीपीई किट बनकर एक्सपोर्ट होने लग गए। अगर स्टीचिंग की यूनिट बढ़े तो मारवाड़ पूरे देश ही नहीं विदेश में भी अच्छी संख्या में कपड़ा निर्यात कर सकता है। टैक्सटाइल इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन बालोतरा के सचिव जसवंत गोगड़ के मुताबिक मशीनरी चाइना से सस्ती कहीं नहीं मिलेगी, लेकिन प्रोसस कपड़ा व कंज्यूम होने वाली चीजों पर बैन लगना चाहिए।

जोधपुर - 400 यूनिट है और करीब 3500-4000 करोड़ का वार्षिक टर्नओवर है। उद्यमी वरूण धनाडिया ने बताया कि देश की कई मंडियों में कपड़ा जाता है और चीन से आए कपड़े से टक्कर होती है। जोधपुर टेक्सटाइल हैंड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बाहेती ने बताया कि यहां की वर्तमान में लेबर समस्या और प्रदूषण निवारण किया जाए तो स्थितियां बदल जाएगी।

ऐसे मिल सकती है मारवाड़ के कपड़े को मजबूती
- तीनो शहरों का एक संयुक्त क्लस्टर बने
- प्रदूषण निवारण का प्लान बने
- प्रोसेस कपड़ा समेत चाइना की वस्तुओं पर लगे रोक
- सरकार और इंडस्ट्री मिलकर बढ़ाएं कदम


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