
Jodhpur Foundation Day - जोधपुर. हमारे यहां के कई लोग काम धंधे के सिलसिले में विदेश में बस गए, लेकिन इनका दिल आज भी जोधपुर में रमता है। स्थापना दिवस पर इन लोगों से बात की तो साफ महसूस हुआ कि सात समंदर पार भी जोधपुर की अपणायत खूब महकती है। पेश है जोधपुर मूल के कुछ लोगों के उद्गार-
विदेश में लोग देते हैं मिसाल
हमारा शहर अपणायत वाला है। हम तो बचपन से ही साम्प्रदायिक सौहार्द के बीच पले-बढ़े। अब विदेश में हैं, तो वहां भी जोधपुर की अपणायत को जीवंत रखे हुए हैं। अभी भी मानने को तैयार नहीं कि यह जोधपुर के लोग आपस में झगड़े हैं। जरूर कोई बाहर के लोग रहे होंगे। मेरी कामना है कि जोधपुर का यश-कीर्ति और अपणायत, सौहार्द बरकरार रहे।
- प्रेम भंडारी, अध्यक्ष, राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमरीका (राना)
हमेशा अपनेपन की बात
जोधपुर अपणायत वाला शहर रहा है। यहां जो बीते दिनों हुआ वह अपवाद मात्र था। हम तो जोधपुर में ही पले-बढ़े हैं और अब कर्म भूमि कनाडा है। जोधपुरवासियों को शुभकामनाएं देते हैं। हम 37 वर्षों से जोधपुर से बाहर हैं, लेकिन जहां जाते हैं वहां जोधपुर-राजस्थान की संस्कृति व अपनेपन की बात हमेशा होती है।
- प्रो. प्रताप पुरोहित, कनाडा
अपणायत इज ओळखाण
कर्म रे कारण जोधाणौ छोड़्यो, पण हर पल, दिल मैं जोधाणै रौ वास है। खंडा अर खावणखंडा रै सागे इणरी अपणायत ही ओळखाण है। जोधपुर री जळेबी अर गुलाब जामुन जैड़ी रसीली मिठास ने किणरी ई निजर नी लागै। म्हें तो विदेस री धरती माथै ई जोधाणा री संस्कृति ने अपनावां हां अर अठै अंगरैज ई जोधपुर सूं लगाव राखै।
- दिलीप पूगलिया, लंदन
सेवा के जरिए जीवंत किया मारवाड़
नाइजीरिया व अफ्रीकी देशों में हमने जोधपुर व भारतीय संस्कृति को सेवा के जरिए जीवंत किया हुआ है। यह हमारा अपनापन है जो हम जोधपुर से सीख कर गए और विदेश में सेवाएं दे रहे हैं। न सिर्फ अपने काम से बल्कि अन्य सेवा कार्यों से सीख दे रहे हैं। जोधपुर का सौहार्द कभी खत्म नहीं सकता। हमारे संस्कारों की जड़ें काफी गहरी है।
- चीफ संजय जैन, अध्यक्ष, इंडियन कल्चरल एसोसिएशन नाइजीरिया
Published on:
12 May 2022 03:30 pm
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