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जहां लोग कोरोना मरीज के नजदीक आने से खाते हैं भय, ये कर्मवीर कर रहे हैं संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार

नगर निगम आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने बताया कि निगम के कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स के रूप में पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी में जुटे हुए हैं। शहर की सफाई के साथ क्वारेंटाइन सेंटर की सफाई में जुटे हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु हो जाती है तो शव का अंतिम संस्कार निगम के कर्मचारी करते हैं।

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jodhpur nagar nigam team is doing cremation of corona died people

जहां लोग कोरोना मरीज के नजदीक आने से खाते हैं भय, ये कर्मवीर कर रहे हैं संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार

जोधपुर. कोरोना संक्रमण को लेकर जहां लोग मरीज के नजदीक भी जाने से डरते हैं तो वहीं इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नगर निगम कर्मचारी कोरोना मरीज की मृत्यु होने पर शव का डिस्पोजल कर रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु होने के बाद शव के डिस्पोजल के समय कोई भी परिजन मौजूद नहीं रहता, निगम के कर्मचारी ही गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार करते हैं।

नगर निगम आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने बताया कि निगम के कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स के रूप में पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी में जुटे हुए हैं। शहर की सफाई के साथ क्वारेंटाइन सेंटर की सफाई में जुटे हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु हो जाती है तो शव का अंतिम संस्कार निगम के कर्मचारी करते हैं। ओला ने बताया कि मुख्य सफाई निरीक्षक महेश चांवरिया और उनकी टीम के सदस्य श्याम लाल, भोमराज, रामपाल, हरिराम, पुनाराम कोविड-19 की गाइड लाइन के अनुसार इस काम में जुटी है।

रविवार शाम तक 2 मृतक जो हिंदू परिवार से थे जिनका डिस्पोजल सिवांची गेट स्थित ओसवाल समाज मोक्ष धाम में लगी विद्युत एवं गैस शव दाग मशीन से किया। वहीं दो मृतक मुस्लिम समुदाय से थे, इनको सुपुर्द ए खाक भी इसी टीम ने किया। चिकित्सा विभाग की ओर से मृतक के शव को त्रिस्तरीय लेयर के कवर में पैक कर नगर निगम कर्मचारियों को सौंपा जाता है। निगम के कर्मचारी पीपीई किट पहनकर प्रक्रिया पूरी करते हैं।

लॉकडाउन में हाशिए पर लावारिस मानसिक विमंदित
पावटा ए रोड अस्पताल और गुरुद्वारा के बीच पिछले चार दिनों से एक अज्ञात मानसिक विमंदित सड़क पर पड़ा है। उसके कमर का हिस्सा बिलकुल काम नहीं कर रहा है। पत्रिका टीम पूछा तो उसने खुद को गुजरात निवासी बताया। ऐसे में संबंधित पुलिस थाना के नोडल अधिकारी और बीट कांस्टेबल को सबसे पहले उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जिम्मेदारी के निर्देश है। उस मानसिक विमंदित को उसके वैधानिक अधिकारों के उत्तरदायित्व के निर्वहन की जिम्मेदारी भी संबंधित थाने में नियुक्त नोडल अधिकारी की है।

पहले एक महिला को 10 दिनों बाद पहुंचाया अस्पताल
मानसिक विमंदितों के लिए कार्य करने वाली मन संस्था के योगेश लोहिया ने बताया कि 3 अप्रैल को एक विक्षिप्त महिला होटल ताज हरि महल के मुख्य गेट के सामने असहाय अवस्था में पड़ी थी। संबंधित पुलिस अधिकारियों को आवश्यक व्यवस्था की सूचना के बाद भी 13 अप्रैल तक पुलिस के क्षेत्राधिकार को लेकर यथास्थिति ही बनी रही। आख्रिरकार राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के हस्तक्षेप के बाद शास्त्री नगर पुलिस ने मनोविकार केंद्र मथुरादास माथुर अस्पताल में उस बेनाम विमंदित महिला को प्रवेशित करवाया गया।