जोधपुर के शासकों और समाज के सजग और सक्षम वर्ग की ओर से परकोटे के बाहरी क्षेत्र में बने अधिकांश तालाब इतिहास के पन्नों में पहले ही दफन हो चुके है। जिला प्रशासन व नगर निगम ने तालाबों के जीर्णोद्धार लिए कई बार बैठके और योजनाएं बनाई लेकिन सभी कागजी साबित हुई। चांदपोल के बाहर गोरधन तालाब सहित अधिकांश प्रमुख तालाब सीवरेज लाइनों की गंदगी और मलबों से अटकर तबाही के कगार पर पहुंच चुके है। मिट्टी में दफन हो चुके जलाशयों में राव मालदेव की ओर से नई सडक़ हनुमान भाखरी क्षेत्र में निर्मित मालासर तालाब, कायलाना रोड पर अभयसिंह निर्मित अभयसागर तालाब , वर्तमान नेहरू उद्यान में बखतसिंह की ओर से निर्मित बखत सागर, महामंदिर में मानसिंह निर्मित मानसागर सहित भदवासिया तालाब, देरावर तालाब, नाग तालाब, रावटी तालाब, रिक्तियां भैरु तालाब, कालीबेरी तालाब, रातानाडा तालाब, अरणाजी तालाब, फिदूसर तालाब, मसूरिया तालाब, जगत सागर अब सिर्फ इतिहास की किताबों में बचे है।
-1893 में महाराजा जसवंतसिंह प्रथम ने बनवाया उम्मेद सागर बांध
-2 बार भराव क्षमता ज्यादा होने से टूट गया बांध
-1908 में महाराजा सरदारसिंह ने करवाई बांध की मरम्मत
-1918 में महाराजा सुमेरसिंह ने करवाया जीर्णोद्धार
-1930 से 1933 तक महाराजा उम्मेदसिंह के प्रयास से तालाब को मिला नया जीवन
-2 लाख रुपए तालाब के विकास पर निजी कोष से खर्च किए महाराजा उम्मेदसिंह ने
-348 एमसीएफटी है तालाब की भराव क्षमता
-38 फीट है तालाब का गेज
उम्मेद सागर जलाशय की भराव क्षमता कायलाना से कहीं अधिक है। यदि हमारी प्राचीन धरोहर जलाशय की सुध ली जाती है तो जोधपुरवासियों को बार बार क्लोजर की समस्या से निजात मिल सकती है।
रामजी व्यास, पर्यावरणविद् एवं अध्यक्ष आध्यात्मिक क्षेत्र पर्यावरण विकास संस्थान