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राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन के शिलान्यास से उद्घाटन तक दिखा अनूठा संयोग, इन पिता-पुत्र ने निभाई भूमिका

पूर्व न्यायाधीश माथुर ने बताया कि हाईकोर्ट के नए भवन के लिए जमीन आवंटित कराने से लेकर वायु सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में 12 वर्ष लगे थे। इसके बाद वर्ष 2007 में भवन की झालामंड में नीवं रखी गई।

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justice ashok mathur and justice vinit mathur rajasthan highcourt

राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन के शिलान्यास से उद्घाटन तक दिखा अनूठा संयोग, इन पिता-पुत्र ने निभाई भूमिक

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के नए भवन के शिलान्यास से उद्घाटन तक के सफर में दो पिता-पुत्र न्यायाधीश का अद्भुत संयोग रहा। हाईकार्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक माथुर के प्रयासों से सन् 2007 में नए भवन का शिलान्यास हुआ था। उनके पुत्र व न्यायाधीश विनीत माथुर ने भवन निर्माण समिति के सदस्य के तौर पर अहम भूमिका निभाते हुए भवन का निर्माण पूरा करवाया। नए भवन के 7 दिसंबर को प्रस्तावित शिलान्यास समारोह में पूर्व न्यायाधीश अशोक माथुर भी अपने पुत्र न्यायाधीश विनीत माथुर के साथ उपस्थित रहेंगे।

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पूर्व न्यायाधीश माथुर ने बताया कि हाईकोर्ट के नए भवन के लिए जमीन आवंटित कराने से लेकर वायु सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में 12 वर्ष लगे थे। इसके बाद वर्ष 2007 में भवन की झालामंड में नीवं रखी गई। इस अवसर पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन, तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व न्यायाधीश दलवीर भंडारी शामिल हुए थे। पुत्र की भीे अहम भूमिका पूर्व न्यायाधीश माथुर के बाद उनके पुत्र न्यायाधीश विनीत माथुर ने संस्थान की भवन समिति के सदस्य रहते हुए भवन का निर्माण कार्य का पूरा करवाया।