वस्तुत : अनुराग ही अर्जुन है। अनुरागी के लिए इष्ट सदैव रथी बन कर साथ में रहते हैं। सखा की भांति उसका मार्गदर्शन करते हैं। आप शरीर नहीं हैं। शरीर तो आवरण है, रहने का मकान है, उसमें रहने वाला अनुराग पूरित आत्मा है। भौतिक युद्ध, मरने-काटने से शरीरों का अंत नहीं होता है। यह शरीर छूटेगा तो आत्मा दूसरा शरीर धारण कर लेगी।इसी संदर्भ में श्रीकृष्ण कह चुके हैं कि जिस प्रकार बाल्यकाल से युवा या वृद्धावस्था आती है। उसी प्रकार देहांतर की प्राप्ति होती है। शरीर काटेंगे तो जीवात्मा नया वस्त्र धारण बदलेगी। शरीर संस्कारों के आश्रित है और संस्कार मन पर आधारित हैं।
दूसरों से तुलना न करेंएग्जाम्स के दिनों में तनाव है। दोस्तों के साथ कैन्टीन में चाय पी व गपशप कर के तनाव दूर कर रहे हैं। हम गाने और न्यूज सुन रहे हैं। एग्जाम्स के टाइम खुश रहते हैं। पाजीटिव हैं और दूसरों से अपनी तुलना नहीं करते।
-यशोवद्र्धनसिंह राठौड़,सैकंड ईयर, एमबीबीएस, जोधपुर
टेंशन पुश करें
कई तरह के टेंशन होते हैं। हर तरह का टेंशन पुश करें। एग्जाम्स पढऩे के लिए फोर्स करते हैं तो पढऩे से नॉलेज मिलती है। नॉलेज से कॉफिडेन्स मिलता है। जो हर काम के लिए जरूरी है। यही स्टडी मैनेजमेंट है।
-अजयकुमार बंसल,थर्ड ईयर, एमबीबीएस, जोधपुर
टॉपिक्स छोटे टुकड़ों में बांटें
रिविजन करते समय टॉपिक्स छोटे टुकड़ों में बांट दें। इसके बाद थोड़ा ब्रेक लें तो पढ़ाई में मन लगा रहेगा। गु्रप स्टडी से आत्मविश्वास बढ़ता है। पॉजिटिव रहें और आसपास पढ़ाई का माहौल रखें। सक्सेस मिलेगी।
-अक्षय सांखला, फाइनल ईयर, एमबीबीएस, जोधपुर
मोबाइल के अत्यधिक और अनावश्यक इस्तेमाल से तनाव बढ़ता है और ध्यान भटकता है। इससे दिमाग में फिजूल के विचार आते हैं।
-नेमसिंह राजपुरोहित,सैकंड ईयर, एमबीबीएस, जोधपुर