— शादी के चार माह बाद ही हादसा शादी के चार माह बाद ही एक रेल हादसे में सुनीता के दोनो हाथ चले गए। ऐसे में ससुराल वालों ने अस्पताल में ईलाज के लिए छोड़ पूरा सम्बंध ही तोड़ दिया। फिर भी सुनीता ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती रही। अस्तपाल से माता-पिता सुनीता को पीहर ले गए, जहां उसने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय रोहतक (हरियाणा) से अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की। बाद में एमफिल की व डॉक्टरेट की उपाधि ली।
— खेलों में आगे बढ़ी, राष्ट्रपति से हुई सम्मानित सुनीता ने शारीरिक अक्षमता को हावी नहीं होने दिया व खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ी। पैरा एथलीट के नाते सुनीता ने 28 नेशनल व 3 इंटरनेशनल पदक जीते। इतना ही नहीं, अपने काम के बलबूते पर वर्ष 2009 में अति कुशल कर्मचारी अवार्ड व वर्ष 2010 में रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया।