वही उन कामगारों के पासपोर्ट भी छीनकर ले लेते है। ऐसे में सैंकड़ों राजस्थानी कामगार वहां से दूसरी जगह पर जाकर काम करना शुरू कर देते थे। इससे एक और मूल पासपोर्ट के अभाव में कुवैत सरकार द्वारा जेल की सजा का प्रावधान है। तो दूसरी कामगारों को भारत भेजने के आदेश के बाद कामकाज छूटने से रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो रहा है। इस बीच लॉकडाउन से अब पासपोर्ट के अभाव में उनके वतन वापसी पर संकट के बादल गहरा गए है। हालांकि कुछ मजदूरों के भारतीय दूतावास से स्वदेश लौटने के लिए इमरजेंसी सर्टिफिकेट बनवाये है, जो कि भारत आने में अस्थायी पासपोर्ट की तरह मदद करेगा। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर कुवैत में फंसे भारतीय डिटेंशन कैंप में हैं।
कुवैत में हॉर्स राईडिंग का काम कर रहे हेमसिंह बस्तवा ने बताया कि कुवैत प्रशासन ने कोरोना महामारी के कारण उन तमाम लोगों को जनरल एमनेस्टी दे रखी है, जिनके पास वहां रहने के लिए वैलिड परमिट नहीं है। इंटरनैशनल लेवल पर लॉकडाउन और इंटरनेशनल ट्रेवलिंग पर रोक के कारण जो लोग भी फंसे हुए हैं वह कुवैत से वापस इंडिया आने में असमर्थ हैं और कुवैत प्रशासन के शिविरों में है।
मजदूरों ने कुवैत में भारतीय दूतावास से भी स्वदेश भेजने की मांग की है। मजदूर पिछले कई दिनों से कुवैत में राहत शिविरों में रह रहे है। कुवैत में भारतीय मजदूरों ने सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत अमीर लोगों को स्वदेश लाने व मजदूरों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। गौरतलब है कि कुवैत में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से आगामी 30 मई तक लॉकडाउन लगा दिया गया है।