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नवचौकिया शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बस नाम का प्रसूति गृह, 23 सालों में हुए मात्र 14 प्रसव

विशेषज्ञों के अभाव में 1 करोड़ के निर्माण कार्यों पर जड़े हैं ताले, इन्हें सुधारें तो मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हो कतारें कम, तंग रास्तों के रैंगते ट्रेफिक में प्रसव पीड़ा झेलती हैं प्रसूताएं

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Maternity home at navchokiya area in jodhpur is not functional

नवचौकिया शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बस नाम का प्रसूति गृह, 23 सालों में हुए मात्र 14 प्रसव

जोधपुर. जोधपुर शहर की प्राचीन स्वास्थ्य केन्द्रों में शुमार नवचौकिया शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (श्रीमती जड़ाव व्यास स्मृति राजकीय प्रसूति गृह) को प्रसृति गृह का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यहां नाम अनुरूप प्रसव सुविधा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से गत 23 सालों में नवचौकिया शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में महज 14 प्रसव ही हो पाए। जबकि शुरुआत में यहां डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के गायनी चिकित्सकों की यूनिट का एक डॉक्टर आउडटोर दिवस में प्रसव कराने आता था, बाद में विवाद होने और स्टाफ की कमी से प्रसव सुविधा ठप पड़ गई। वर्तमान में डेढ़ से दो लाख की आबादी इसी अस्पताल में प्राथमिक इलाज कराने आती है। अस्पताल का आउटडोर प्रतिदिन 3 सौ से ज्यादा हंै।

बेलगाम ट्रेफिक में प्रसव पीड़ा से तड़पती हैं प्रसूताएं
भीतरी शहर की तंग गलियों में एक घंटे तक ट्रेफिक बहाल नहीं होता है। दिन में खांडा फलसा, आड़ा बाजार व नाइयों का बड़ जैसे क्षेत्रों में कई बार आधे घंटे से अधिक समय तक ट्रेफिक जाम रहता है। रोजमर्रा में यहां सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या के कारण नगर निगम के बड़े वाहन खड़े रहते हंै। ऐसे में बेहाल ट्रेफिक में कई प्रसूताओं और उनके परिजनों को दो किलोमीटर दूरी पर स्थित उम्मेद अस्पताल पहुंचने में एक घंटे से अधिक समय लग जाता है। कई बार यहां रास्ते में प्रसव हो चुके हैं।

20 साल में सुविधाओं पर खर्च हुए 1 करोड़ रुपए
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में गत दो दशक में 1 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यहां ऑपरेशन थिएटर, वार्ड व लेबर रुम भी बना हुआ है। स्टाफ के अभाव में सुविधाएं ताले में बंद हैं। वर्तमान में 2 सीनियर मेडिकल ऑफिसर की पोस्ट स्वीकृत है, लेकिन कार्यरत एक है। 2 मेडिकल ऑफिसर, 3 जूनियर स्पेशलिस्ट, 1 एमओ डेंटल का पद स्वीकृत है। यहां स्पेशलिस्ट में गायनी, सर्जरी व पीडियाट्रिक के पद स्वीकृत हंै, जो सभी रिक्त हैं।

इनके पद विरुद्ध एक जेएस मेडिसिन के लगे हुए हैं। यहां मेडिकल ऑफिसर जेएस के पद विरुद्ध कार्यरत है। यहां दो चिकित्सक इमरजेंसी व गायनी में सटिर्फिकेट कोर्स की योग्यता प्राप्त है, लेकिन सुविधा-संसाधन की कमी से उनका सदुपयोग नहीं हो रहा। वहीं यहां 5 स्टाफ नर्स के पद हैं, इनमें 4 पद भरे हैं। वहीं यहां स्थाई, प्रतिनियुक्ति व संविदा समेत कुल 11 एएनएम कार्यरत हैं।

दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी: एक छुट्टी पर, दूसरे को प्रशासन छोड़ नहीं रहा
पत्रिका टीम सोमवार सुबह यहां पहुंची। अस्पताल में बेतहाशा गंदगी नजर आई। मालूम करने पर पता चला कि यहां दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। एक दुर्गादास अवकाश पर चल रहा है और दूसरा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रमेशचंद जिला प्रशासन के अधीन पाक नागरिक कार्यालय में लगा हुआ है। शिकायत के बावजूद रमेशचंद की प्रतिनियुक्ति निरस्त नहीं की जा रही है। गंदगी झेलना मरीजों और स्टाफ की मजबूरी बन गई हंै।

मुख्यमंत्री से की जा चुकी है क्रमोन्नत की मांग
यहां के क्षेत्रवासियों और पार्षद सुनील व्यास ने इसी माह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नवचौकिया अस्पताल को सैटेलाइट अस्पताल का दर्जा दिलाने के लिए ज्ञापन दिया था। जिसमें लोगों ने प्रसूताओं के दर्द और बढ़ते ट्रेफिक के कारण समय पर बड़े चिकित्सा संस्थान नहीं पहुंचने की पीड़ा जताई थी।

स्टाफ लगाकर शुरू करेंगे प्रसूति गृह
मेरे पास पीएचसी के अधिकारी आए थे। यहां नर्सिंग स्टाफ व अन्य चिकित्सक लगाकर 24 घंटे सुविधा शुरू की जाएगी। इसको शीघ्र चालू करेंगे। क्षेत्रीय पार्षद भी अस्पताल का दर्जा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
- डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ