इसलिए रंगों के त्योहार पर ग्राहकों को ही सावचेत होने की जरूरत हैं। खाद्य सामग्री की खरीद पैठ वाली दुकान से ही की जाएं। बाजार में खुले व बिना मार्का के बिक रही सामग्री पर विश्वास नहीं करें, क्योंकि इसमें मिलावट का पूरा अंदेशा है। आपको बता दें कि दिवाली के मौके पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने शहर भर की दुकानों आदि जगहों से खाद्य सामग्री के जो सैम्पल लिए थे, उनमें से अधिकतर सैम्पल फेल व अनसेफ पाए गए हैं। यानि दिवाली के मौके पर बाजार में ऐसी सामग्री बेची जा रही थी, जिनका सेवन स्थास्थ्य के लिए हानिकारक है।
जिसकी अधिक बिक्री, उस पर ही अधिक खतरा-
जोधपुर में सबसे अधिक बिक्री मिठाई व नमकीन की होती है। और इनमें घी व मसालों का अहम योगदान होता है। इसलिए लालच में अंधे मिलावटखोरों ने सबसे अधिक मिलावट घी व मसालों में ही की। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट के अनुसार दिवाली के मौके पर लिए गए 50 प्रतिशत सैम्पल फेल और उनमें से 25 प्रतिशत सैम्पल अनसेफ पाए गए।
मिलावट की यहां करें शिकायत-
किसी जागरूक नागरिक को कहीं पर भी मिलावट की जानकारी मिलती है या संदेह होता है तो इसकी शिकायत संबंधित शहर के सीएमएचओ कार्यालय तथा राज्य स्तर पर आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं निदेशक को की जा सकती है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ग्राहकों को अलर्ट भी कर रहा है कि सावधानी तो हमेशा रखनी चाहिए, लेकिन खासकर त्योहार के समय मिलावट अधिक की जाती है, इसलिए त्योहार के समय पैठ वाली दुकान से ही खाद्य सामग्री की खरीद करें। जहां तक हो सके, त्योहार पर मिठाइयां घर में ही बनानी चाहिए। मसाले साबुत खरीदकर घर में ही पीसे जाकर काम में लेने चाहिए। घी की खरीद भी मार्का व पैठ वाली ब्रांड का ही खरीदना चाहिए। खरीद से पहले यह रैपर, सील, एक्सपाइरी डेट इत्यादि की पड़ताल करना भी जरूरी है कि कहीं वह नकली या मिलावटी तो नहीं है।
दिवाली पर अलर्ट थे, होली पर सुस्त-
दिवाली पर तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह अलर्ट मोड पर कार्रवाई कर रहा था। लेकिन इस बार जोधपुर जोन में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई ठप सी दिखाई दे रही है। जोधपुर जिले की जिम्मेदारी दो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों पर है। लेकिन एक की तबीयत खराब है, इसलिए अवकाश पर चल रहे हैं तो दूसरे खाद्य सुरक्षा अधिकारी की तरफ से कोई प्रभावी कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है। विभाग के आला अधिकारियों ने किसी अन्य अधिकारी को भी जोधपुर में कार्रवाई का जिम्मा नहीं दिया है। ऐसे हालात में जोधपुर के मिलावटखोर आमजन की सांसों को बेरंग करने की तैयारी में है।
सैम्पल ————–वर्ष 2017 —————-वर्ष 2018
कुल सैम्पल———- 1183 ———————986
फेल ——————466 ——————- –336
अनसेफ————- 110 ———————- 89
सब स्टैण्डर्ड ———–250 ———————187
मिस ब्रांड ————–106————– ——-58
खाद्य सामग्री में मिलावट प्रतिशत-
सामग्री ——-प्रतिशत
मसाले- —-42
मिठाई- —-28
नमकीन- —-27
दूध- ——-32
घी- ——–23
खोया-मावा- 80
मिल्क प्रोडेक्ट- 64
खाद्य तेल- 32
फूड वेजिटेबल- 26
सुपारी-पान- 100
अन्य- 30
इनका कहना है-
सैम्पलोंं की जांच में स्पष्ट हो रहा है कि मिलावट करने वाले लोगों को ग्राहकों की सेहत की कतई परवाह नहीं हैं। इसलिए ग्राहकों को जागरूक होना पड़ेगा। कोई भी खाद्य सामग्री या फूड प्रोडेक्ट की खरीद परख के बाद की जानी चाहिए।
-करणसिंह तंवर, खाद्य विश्लेषक, जोधपुर