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Jodhpur: अगले महीने सेवानिवृत्त होंगे, अपडेट होकर आ गए डीन

- तकनीकी छात्रों को पढ़ाने सीनियर प्रोफेसर को भेजना था - अगस्त में शुरू होगी कक्षाएं, जुलाई में सेवानिवृत्त हो जाएंगे डीन - केंद्र सरकार इंजीनियङ्क्षरग शिक्षा को बेहतर करने के लिए करवा रही है फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम

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Jodhpur: अगले महीने सेवानिवृत्त होंगे, अपडेट होकर आ गए डीन

जोधपुर. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार (टेक्यूप) कार्यक्रम के अंतर्गत एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से किसी सीनियर प्रोफेसर को अपडेट करने के लिए गंगटोक (सिक्किम) जाना था, ताकि अगस्त में कक्षाएं शुरू होने पर इंजीनियरिंग छात्रों के शिक्षण में सुधार हो सके, लेकिन कॉलेज के डीन प्रो. एसएस मेहता खुद ही गंगटोक जाकर अपडेट हो आए। प्रो. मेहता 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और कॉलेज का शैक्षणिक सत्र 2 अगस्त से शुरू होगा। ऐसे में विश्व बैंक की ओर से इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कॉलेज को दिया गया अनुदान व्यर्थ जाता दिख रहा है।

टेक्यूप-3 कार्यक्रम दिसम्बर 2017 में एमबीएम इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज में शुरू हुआ। केंद्र सरकार इसके तहत देश में इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने जा रही है। कार्यक्रम के अंतर्गत हैदराबाद स्थित इंजीनियङ्क्षरग स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया ने गंगटोक में पांच दिवसीय फैकल्टी अपडेशन प्रोग्राम के लिए एमबीएम इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज के दो सीनियर प्रोफेसर को बुलाया। कॉलेज के डीन प्रो. मेहता को दो सीनियर प्रोफेसर का चयन करना था। पहले नाम के तौर पर पीएण्डआई विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष कुमार को चुना गया, जिनके सेवानिवृत्ति में करीब दस साल बाकी हैं। दूसरे नाम के तौर डीन ने खुद को ही हरी झण्डी दिखा दी। दोनों पिछले सप्ताह ही गंगटोक जाकर अपडेट होकर आए हैं।

नो ड्यूज तक ले लिया, फिर भी अपडेशन के लिए गए
प्रो. मेहता 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्होंने विभाग और संकाय से नो ड्यूज सर्टिफिकेट तक ले लिया है। बावजूद इसके वे फैकल्टी अपडेशन कार्यक्रम में गए। वहां उन्होंने छात्रों को पढ़ाने की बेहतर तकनीक और प्रबंधन के गुर सीखे, लेकिन ये दोनों ही चीजें अब एमबीएम कॉलेज में किसी काम नहीं आएगी। जोधपुर से गंगटोक तक आने-जाने व ठहरने का सारा खर्चा टेक्यूप-3 कार्यक्रम के तहत वहन होता है।

डीन साहब के तर्क
मैं वहां नहीं जाता तो सरकार स्पष्टीकरण मांग सकती थी। वैसे प्रबंधन का प्रयोग करने के लिए मैं एक महीने तो यहीं हूं। सेवानिवृत्ति के बाद किसी अन्य कॉलेज में पढ़ाऊंगा या इसी कॉलेज में एमिरेट्स प्रोफेसर बन सकता हूं।

प्रो. एसएस मेहता, डीन, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर