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जोधपुर की दूसरी मल्टीलेवल कार पार्र्किंग पांच साल से अटकी, किसी फर्म ने नहीं दिखाया इंट्रेस्ट

शहर का सबसे व्यस्त क्षेत्र। जहां की सडक़ों का दम घोंटते हैं वहां खड़े वाहन। इसका कारण है पार्र्किंग की व्यवस्था न होना। यह क्षेत्र है सोजती गेट, नई सडक़, घंटाघर व आस-पास का क्षेत्र। जहां खरीदारी को आने वाले वाहनों के लिए मल्टीलेवल पार्र्किंग का काम छह साल पहले धरातल पर आया।

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multilevel parking project is not getting complete in jodhpur

जोधपुर की दूसरी मल्टीलेवल कार पार्र्किंग पांच साल से अटकी, किसी फर्म ने नहीं दिखाया इंट्रेस्ट

अविनाश केवलिया/जोधपुर. शहर का सबसे व्यस्त क्षेत्र। जहां की सडक़ों का दम घोंटते हैं वहां खड़े वाहन। इसका कारण है पार्र्किंग की व्यवस्था न होना। यह क्षेत्र है सोजती गेट, नई सडक़, घंटाघर व आस-पास का क्षेत्र। जहां खरीदारी को आने वाले वाहनों के लिए मल्टीलेवल पार्र्किंग का काम छह साल पहले धरातल पर आया। लेकिन इसके बाद यह आगे नहीं बढ़ पाया। आज भी जमीन पर सरिये लगे हुए हैं और न्यायालय में प्रकरण चल रहा है। यहां संवेदकों की रुचि नहीं दिखाने के पीछे बड़ा कारण ऐसी ही पार्र्किंग जो गांधी मैदान में बनी है उस ओर जनता का कम रुझान दिखाना है। सडक़ों व गलियों में वाहन खड़े हैं लेकिन पार्र्किंग में नहीं। कैसे एक पार्किंग की दुर्गति ने दूसरी का काम रोक रखा है, इस पर एक रिपोट...

पहले रिडकोर ने शुरू किया काम
इस जमीन पर सबसे पहले रिडकोर ने काम शुरू किया था। जमीन पर पिलर बनाने का काम शुरू हुआ। लेकिन इसके बाद पुलिस कंट्रोल रूम की आपत्ति से मामला अटक गया। पुलिस प्रशासन से जमीन नहीं मिली तो रिडकोर ने इससे हाथ खींच लिए। काफी समय तक प्रोजेक्ट ऐसे ही पड़ा रह। न्यायालय की सख्ती के बाद निगम ने नए सिरे से इसकी टैंडर प्रक्रिया के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट मांगे।

चार बार प्रक्रिया फिर भी नहीं आए रुचि लेने
नई टैंडर प्रक्रिया के लिए चार बार एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट नगर निगम की ओर से मांगे गए। लेकिन किसी प्रकार की सफलता नहीं मिली। तीन बार इसके लिए तारीख बढ़ी और चौथी बार में तो कई शर्तें भी नगर निगम ने बदल ली। लेकिन इसके बाद भी सफलता नहीं मिली। अब 4 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र को वाणिज्यिक विकसित करने और लीज अवधि भी बढ़ाई गई। निगम स्तर पर सफलता नहीं मिलने पर अब न्यायालय ने राज्य सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने को कहा है।

कैसे बदल सकती है सूरत
मल्टीलेवल पार्र्किंग यदि बनती है तो सबसे ज्यादा हालात नई सडक़ की सुधरेगी। यहां सडक़ के दोनों ओर दुपहिया व चार पहिया वाहनों की पार्र्किंग व्यवस्था वर्तमान में लागू है। नई सडक़ पर इस अस्थाई पार्र्किंग व्यवस्था में भी कई बार बदलाव किया जा चुका है। मल्टीलेवल पार्र्किंग से सबसे पहले इस सडक़ को चौड़ा करने में मदद मिलेगी। दूर-दराज के गांवों से घंटाघर व त्रिपोलिया बाजार में खरीदारी के लिए लोग आते हैं। वे आस-पास अपने वाहन पार्क करते हैं।

फैक्ट फाइल मल्टीलेवल पार्र्किंग
- 6 साल पहले एक साथ मल्टीलेवल पार्र्किंग पर काम शुरू हुआ।
- 2 मल्टीलेवल पार्र्किंग का काम साथ शुरू हुआ।
- 1 बन गई लेकिन लोगों के जागरूक नहीं होने से वह खाली पड़ी रहती है।
- 5 बार एक्सप्रेशन ऑफ मांगे गए नई सडक़ पर प्रस्तावित मल्टीलेवल पार्र्किंग के लिए।
- 1 भी व्यक्ति ने नहीं दिखाई रुचि

रुचि नहीं लेने का बड़ा कारण
पिछले कुछ माह में जो लोग नई सडक़ मल्टीलेवल पार्र्किंग बनाने में रुचि नहीं ले रहे हैं उसका सबसे बड़ा कारण इसके बनने के बाद सफलता पूर्वक संचालन को लेकर संशय है। गांधी मैदान स्थित पार्र्किंग में जितने वाहन रखने की क्षमता है उसके एक चौथाई वाहन भी पार्क नहीं होते हैं। ऐसे में नई सडक़ पर प्रस्तावित पार्र्किंग बीओटी सिस्टम पर बननी है। यहां कॉमर्शियल क्षेत्र भी बढ़ाया है। लेकिन इसके बावजूद संवेदकों को डर है कि कहीं यहां भी लोगों ने वाहन पार्क नहीं किए तो पार्र्किंग संचालन में समस्या हो सकती है।

गांधी मैदान में इतना निवेश किया निगम ने
- 22 करोड़ लागत प्रोजेक्ट की है।
- 5 लाख रुपए प्रतिमाह खर्च कर रहे हैं।
- 700 चार पहिया व दुपहिया वाहन रखे जा सकते हैं।
- अभी दैनिक व मासिक पास की दरें भी आधी कर दी।
- लेकिन पार्र्किंग स्थल एक चौथाई से अधिक नहीं भरता।

इनका कहना...
यहां संवेदकों का रुचि नहीं लेने का कारण गांधी मैदान पार्र्किंग में ज्यादा वाहन पार्क नहीं होना है। गांधी मैदान का संचालन तो निगम खुद कर रहा है। लेकिन नई सडक़ को हम बीओटी आधार पर बना रहे हैं। कुछ लोग जागरूक होंगे तो पार्र्किंग स्थलों का उपयोग होगा और सडक़ें भी चौड़ी होगी। इससे सभी को राहत मिलेगी। व्यापारियों व ग्राहकों के साथ आमजन को भी यह समझना चाहिए।
- घनश्याम ओझा, महापौर, नगर निगम जोधपुर