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बिना बारात के सजने लगे शहर में चुनावी दूल्हे!

पीपाड़सिटी (जोधपुर). राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर निगमों के चुनाव की घोषणा के साथ ही पालिका चुनाव की संभावना को लेकर दावेदार सक्रिय हो गए हैं। अपने वार्ड के मतदाताओं का रुझान जानने के लिए अनेक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर मिशन चुनाव का अभियान शुरू कर दिया है।

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बिना बारात के सजने लगे शहर में चुनावी दूल्हे!

बिना बारात के सजने लगे शहर में चुनावी दूल्हे!

पीपाड़सिटी (जोधपुर). राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर निगमों के चुनाव की घोषणा के साथ ही पालिका चुनाव की संभावना को लेकर दावेदार सक्रिय हो गए हैं। अपने वार्ड के मतदाताओं का रुझान जानने के लिए अनेक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर मिशन चुनाव का अभियान शुरू कर दिया है।

शहर में पालिका का कार्यकाल अगस्त में पूरा होने के बाद से कोरोना प्रकोप के चलते निष्क्रिय बैठे कार्यकर्ता नगर निगम चुनाव के बाद पालिका चुनाव की बढ़ती संभावना को देख सक्रिय हो गए हैं। सोशल मीडिया पर अलग अलग वार्डो से पार्षद पद को लेकर बढ़ती दावेदारी ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है।

इस अभियान में राज्य में सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं की पालिका चुनाव में दावेदारी से जहां जोश और उत्साह का माहौल नजर आ रहा है वहीं बगावत के संकेत भी दिखने लगे हैं। गत पांच वर्षों तक पालिका बोर्ड में सत्तारूढ़ रही भाजपा के कार्यकर्ता तेल और तेल की धार देख रहे हैं।

मुख्यमंत्री गहलोत के दूसरे घर पीपाड़सिटी में पालिका चुनाव कांग्रेस व भाजपा के लिए नाक का सवाल बनने लगे हैं। सांसद पीपी चौधरी, विधायक हीराराम मेघवाल और पूर्व राज्यमंत्री अर्जुनलाल गर्ग की प्रतिष्ठा भी पालिका चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के साथ अपने समर्थक को पालिकाध्यक्ष बनाने को लेकर दांव पर है।


वार्डों के आरक्षण से उलझे समीकरण

पालिका में परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या 25 से 35 हो गई हैं। इसमें कई नए क्षेत्रों को तोडऩे जोडऩे से राजनीति के नए समीकरण बन गए हैं। वार्डों के आरक्षण की घोषणा के बाद शहरी राजनीति के दिग्गज नए वार्ड में अपने जनाधार के साथ मतदाताओं का मानस भी टटोलने लगे हैं। गत पालिका चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी भी इस बार मतदाताओं की सहानुभूति की उम्मीद पर फिर से चुनावी दंगल में उतरने की कोशिश में लग गए हैं।


आरक्षित वार्डों की स्थिति
सामान्य श्रेणी के वार्ड-1,4,5,8,10,11,12,15,18,19,20,21,22,28 व 35
सामान्य महिला-2,3,7,9,14,16,23,25.
पिछड़ा वर्ग-13,17,26,30,31
पिछड़ा वर्ग महिला-33,34
एससी-24,29,32.
एससी महिला-6,27


पिछड़े वर्ग का दबदबा
पालिका के गठन के बाद सन 1962 से पालिका अध्यक्ष पद पर पिछड़े वर्ग का दबदबा रहा है। इनमें शिवलाल,बचनाराम कच्छवाह, चिमनाराम टाक, बाबूलाल टाक, प्रभाकर टाक, व महेंद्र सिंह कच्छवाह कमान संभाल चुके हैं।

लक्ष्मीदेवी टाक अब तक एक मात्र निर्वाचित पालिकाध्यक्ष रही हैं। सन 2010 में जनता के सीधे मतदान में सामान्य श्रेणी से शांतिलाल जांगड़ा एक मात्र पालिकाध्यक्ष बन सके जबकि अनुसूचित जाति की गजरीदेवी मेघवाल उपाध्यक्ष होते हुए पांच वर्ष के कार्यकाल में चार बार कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काम कर चुकी हैं।

सन 2010 के चुनाव में अध्यक्ष निर्दलीय रहे और बोर्ड में बहुमत कांग्रेस को मिला था। अब पालिकाध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने के कारण शहरी सरकार में गांवों की तर्ज पर सरपंच पति की तरह चेयरमैन पति होगा।