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खम्ब से प्रकट हो नृसिंह ने की भक्त प्रहलाद की रक्षा

स्थानीय तिवाड़ी जोशियों की बगेची में पौराणिक नृसिंह भगवान के मंदिर में नृसिंह जयंती पर नृसिंह लीला का नाटक खेला गया, जिसमें नृसिंह भगवान ने गोधूली वेला में खम्ब से प्रकट होकर भक्त प्रहलाद की दैत्यराज हिरण्यकश्पु का वध कर उसका जीवन बचाया।

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खम्ब से प्रकट हो नृसिंह ने की भक्त प्रहलाद की रक्षा

खम्ब से प्रकट हो नृसिंह ने की भक्त प्रहलाद की रक्षा

फलोदी/ जोधपुर. स्थानीय तिवाड़ी जोशियों की बगेची में पौराणिक नृसिंह भगवान के मंदिर में नृसिंह जयंती पर नृसिंह लीला का नाटक खेला गया, जिसमें नृसिंह भगवान ने गोधूली वेला में खम्ब से प्रकट होकर भक्त प्रहलाद की दैत्यराज हिरण्यकश्पु का वध कर उसका जीवन बचाया।

गौरतलब है कि भक्त प्रहलाद दैत्यराज हिरण्यकश्पु का पुत्र था, लेकिन वह भगवान विष्णु का अनन्य भक्त होने के कारण हिरण्यकश्पु उसकी हत्या करना चाहता था। इसी के चलते नृसिंह चुर्तुदशी के दिन प्रहलाद की हत्या करने पर आमदा हिरण्यकश्पु को आधा नर व आधा सिंह के रुप में खम्बे से प्रकट होकर नखों से चीर कर हिरण्यकश्पु का वध कर दिया। इसके बाद मंदिर परिसर में जयकारों की गूंज हुई और भगवान नृसिंह की पूजा अर्चना व आरती की गई।

हालांकि कोविड महामारी के चलते इस बार मंदिर में मेला नहीं भरा गया, केवल पुजारी व नाट्य कलाकारों ने ही नृसिंह जयन्ती की परम्परा का निर्वहन किया गया। नृसिंह मंदिर में भगवान नृसिंह की प्रतिमा को अलौकिक वस्त्रों से सजाया गया। नाटक में नृसिंह भगवान की भूमिका राकेश जोशी, प्रहलाद खुश जोशी व हिरण्यकश्पु अंकित गुचिया बने।


लवेरा बावड़ी . भगवान नृसिंह जयंती मंगलवार को मनाई गई। भारतीय संस्कृति प्रचारक कथा प्रवक्ता पण्डित राजेन्द्र महाराज तापू के सान्निध्य में भगवान नृसिंह का पूजन किया गया। पण्डित राजेन्द्र महाराज ने कहा कि भगवान नृसिंह शक्ति व पराक्रम के अवतार हैं। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नर और सिंह का संयुक्त रूप धारण करके दैत्य हिरण्यकश्यप का वध किया।