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राष्ट्रीय पैरा तैराक पिंटू की मेहनत लाई रंग, पढ़े कैसे

कनिष्ठ सहायक के रूप में मिली सरकारी नौकरी

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राष्ट्रीय पैरा तैराक पिंटू की मेहनत लाई रंग, पढ़े कैसे

राष्ट्रीय पैरा तैराक पिंटू की मेहनत लाई रंग, पढ़े कैसे

जोधपुर. कहते है की हौंसले बुलंद हो तो मंजिल अवश्य मिलती है। ऐसा ही कर दिखाया जोधपुर के राष्ट्रीय पैरा तैराक व कोच पिंटू गहलोत ने। पिंटू को प्रदेश सरकार की पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्म नौकरी योजना के तहत अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समिति जोधपुर कार्यालय में कनिष्ठ सहायक के रूप में सरकारी नौकरी मिली है। वे शुक्रवार को रेलवे स्टेशन के सामने स्थित अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समिति कार्यालय में अपना पद ग्रहण करेंगे। पिंटू ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 6 जुलाई को मुझे सहयोग करने का आश्वासन दिया था और 15 दिनों में वादा पूरा करते हुए पदक विजेता खिलाड़ियों के आउट ऑफ टर्म नौकरी योजना के तहत कनिष्ठ सहायक के पद पर लगा दिया। सरकार की इस योजना से निश्चित रूप से खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

दोनों हाथ गंवा चुके पिंटू
पिंटू वर्ष 1998 में एक बस दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवाने के बाद वर्ष 2019 में स्विमिंग पूल की सफाई के दौरान करंट लगने से दूसरा हाथ भी गंवा चुके। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और कड़ी मेहनत से राष्ट्रीय पैरा तैराकी में रजत पदक जितने के साथ राज्य स्तरीय पैरा तैराकी में अब तक 35 स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके है। पिंटू ने एथलीट में भी चार स्वर्ण पदक जीते है। इसी मेहनत का फल अब उन्हें सरकारी नौकरी के रूप में मिला है।


2021 में ईरान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया। भविष्य में इनकी नजरें 2022 में वियतनाम में होने वाले एशियन ताइक्वांडो चैंपियनशिप और 2024 की पैरा ओलंपिक तैराकी प्रतियोगिता पर है। प्रेरणा स्रोतों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और खेल मंत्री अशोक चांदना, पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, डॉ राम गोयल, उत्कर्ष संस्था के निदेशक निर्मल गहलोत, रोटरी क्लब जोधपुर मिडटाऊन, एच के हाईटैक आदि अनेक भामाशाह और स्वयंसेवी संस्थाएं। पैरालंपिक कमिटी ऑफ़ इंडिया के पदाधिकारी डॉ वी के डबास, अध्यापक व रंगकर्मी भरत वैष्णव व अपनी पत्नी श्रीमती रितिका गहलोत को यह अपना मोटिवेशनल गुरु मानते हैं।