
दिसम्बर 2012 तक पूरा होना था काम, पीडब्ल्यूडी छह माह में हैंडओवर करने का दावा कर रहा हैं
जोधपुर . सत्ता परिवर्तन के बाद महात्मा गांधी अस्पताल के नए ओपीडी व इमरजेंसी भवन में राज्य सरकार ने अड़चनें डालीं। इसके बाद बजट और बजरी ने भी इसे अटका दिया। इससे शहर के बाशिंदों को मिलने वाली सुविधाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। गांधी अस्पताल के नए ओपीडी ब्लॉक और इमरजेंसी के निर्माण की उम्मीद थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। जिस काम की नींव तत्कालीन गहलोत सरकार के कार्यकाल में सितंबर 2011 में रखी गई, वह दिसंबर 2012 तक हर हाल में पूरा हो जाना था, लेकिन यह काम बजट औ बजरी के कारणअभी तक अधूरा पड़ा है। जो बजट सार्वजनिक निर्माण विभाग को मिला था, उसने यह राशि अंडरग्राउंड पार्र्किंग के निर्माण में खर्च कर बजट पूरा निपटा दिया। पांच साल बाद भी ओपीडी ब्लॉक और इमरजेंसी का निर्माण 80 फीसदी ही हो पाया है। दस प्रतिशत काम पिछले छह महीनों से भी ज्यादा समय से अटका पड़ा है। उसके बाद इस काम को पूरा करने के लिए सानिवि के पास बजट नहीं था। बजट के लिए प्रपोजल बना कर भेजा तो बजरी की समस्या सामने आ गई। चौंकाने वाली बात यह है कि जनता से जुड़े इतने बड़े प्रोजेक्ट को लेकर किसी भी जनप्रतिनिधि ने चिंता जाहिर नहीं की। ओपीडी ब्लॉक शुरू करने की मांग को लेकर कांगे्रसी कार्यकर्ता कई बार अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक शुरू नहीं करने के पीछे राज्य सरकार का जोधपुर के प्रति सौतेला व्यवहार बताया है। जितने साल की थी गारंटी, उतना समय तो केवल निर्माण में ही लग गया। तत्कालीन गहलोत सरकार ने महात्मा गांधी अस्पताल के लिए 12 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था। निर्माण कार्य भी 15 सितंबर 2011 में शुरू हुआ। उसके बाद यह काम 14 दिसंबर 2012 तक पूरा कर के इसका लोकार्पण करना था। इसके निर्माण कार्य का ठेका भी जयपुर की मैसर्स एएल लालपुरिया को दिया गया। बिल्डिंग की दोष निवारण अवधि भी पांच साल रखी गई। यानी इस दौरान अगर कोई टूट फूट हो जाती तो ठेकेदार को वापस वह ठीक करना होता, लेकिन पांच साल के बावजूद तो इसका काम ही पूरा नहीं हो पाया है।
एेसे आर्ई प्रोजेक्ट निर्माण में अड़चनें
जानकारी के अनुसार जिस समय यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ, उस समय केवल ग्राउंड और प्रथम तल की ड्राइंग ही बनाई गई थी। इसके अनुसार अगले पांच साल मेन्टनेंस तक की लागत जोड़ी गई, जो करीब 12 करोड़ रुपए है। शिलान्यास के समय ओपीडी भवन में अंडरग्राउंड पार्र्किंग बाद में जोड़ी गई। इस कारण इसकी निर्माण लागत में आने वाला खर्च भी बढ़ गया, लेकिन इसके लिए वितीय स्वीकृति जारी कर अतिरिक्त बजट नहीं देने के कारण इसका निर्माण कार्य भी बंद हो गया। यह काम अभी भी बंद ही पड़ा है। हालांकि पीडब्ल्यूडी ने मुख्यालय को प्रस्ताव बना कर भेजा भी है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इसके निर्माण को लेकर अभी तक बजट आंवटित नहीं किया गया है। काफी काम पड़ा है अधूरा
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अस्पताल के नऐ ओपीडी ब्लॉक इमरजेंसी भवन का काम पिछले लंबे समय से अटका पड़ा हुआ है। अभी फिलहाल न तो सार्वजनिक निर्माण विभाग के पास बजरी है और न ही बजट। इसलिए अभी भी काम अधूरा ही पड़ा है। इसमें अब फिनिशिंग का काम बाकी है, जो बजट आने पर ही पूरा हो पाएगा। पीडब्ल्यूडी तीन बार हैंडओवर की तारीख बता चुका है, लेकिन हर बार तारीख से आगे का समय लिया है। अभी भी तीन महीने तक पूरा नहीं हो, उतना काम बचा हुआ है।
डॉ. पीसी व्यास, अधीक्षक, महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर
Published on:
11 Feb 2018 12:58 pm
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