
NO BAG DAY -- हर शनिवार को स्कूलों में होगा 'नो बैग डे', 1 जुलाई से लागू होगा,NO BAG DAY -- हर शनिवार को स्कूलों में होगा 'नो बैग डे', 1 जुलाई से लागू होगा,NO BAG DAY -- हर शनिवार को स्कूलों में होगा 'नो बैग डे', 1 जुलाई से लागू होगा
जोधपुर।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर है। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2020 में की गई घोषणा अब मूर्तरूप लेने जा रही है। जिसके अनुसार नए सत्र यानि 1 जुलाई से अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को शनिवार को बस्ता लेकर स्कूल नहीं जाना होगा। इसलिए सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को 'नो बैग डे' मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी 2020 को बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित घोषणाओं में सप्ताह में एक दिन शनिवार को सरकारी स्कूलों में बैग नहीं ले जाने व उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने संबंधी निर्णय की घोषणा थी। जिसके अनुसार सत्र 2022-23 में सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा।
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हर शनिवार अलग थीम पर गतिविधियां
- माह के पहले शनिवार राजस्थान को पहचानो
- दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास
- तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान
- चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा
- पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
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बच्चों को शारीरिक-बौद्धिक विकास होगा
मासूम बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करने व उनके शारीरिक-बौद्धिक विकास के लिए शनिवार को नो बैग डे मनाने का निर्णय लिया है। राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हापूराम चौधरी के अनुसार इससे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास होगा साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी।
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अन्तरराष्ट्रीय मपदण्ड तय
अंतराष्ट्रीय मापदंडो के अनुसार बच्चे के स्कूल बैग का बोझ उसके वजन के 10 फीसदी तक होना चाहिए। देश में सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हुई है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
राजस्थान पहला प्रदेश नही है जहां नो स्कूल बैग की स्कीम लागू की गई हो। इससे पहले मणिपुर में यह लागू किया जा चुका है और वहां पर इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है। वहीं, अन्य राज्य इस स्कीम को लागू करने की तैयारी में है।
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'नो बैग डे' का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास व उनमें अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन-अध्यापन के पारंपरिक तरीकों के अलावा सहयोगी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।
अमृतलाल, जिला शिक्षाधिकारी
मुख्यालय माध्यमिक, जोधपुर
Updated on:
28 Jun 2022 01:51 pm
Published on:
28 Jun 2022 01:47 pm
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