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अब हैंड, फुट व माउथ डिजीज के बाद बच्चों को टोमैटो फीवर का खतरा

गत दो माह में एचएफएमडी से करीब 20 हजार बच्चे हुए प्रभावित, टोमैटो फीवर इसी का वेरिएंट

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अब हैंड, फुट व माउथ डिजीज के बाद बच्चों को टोमैटो फीवर का खतरा

अब हैंड, फुट व माउथ डिजीज के बाद बच्चों को टोमैटो फीवर का खतरा

जोधपुर.

सूर्यनगरी के बच्चों में हैंड, फुट व माउथ डिजीज यानी के एचएफएमडी बीमारी के बाद अब टोमैटो फीवर का खतरा मंडराने लगा हैं। टोमैटो एचएफएमडी का ही वेरिएंट माना जा रहा है। जिस प्रकार कोरोना का वेरिएंट ओमिक्रॉन था। केरल राज्य में इसके पचास से अधिक मामले मिल चुके हैं। इन सभी बच्चों की उम्र 9 साल से कम हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस बुखार का नाम टोमैटो फीवर इसलिए है क्योंकि इस बीमारी में मरीज के शरीर पर टमाटर के आकार और लाल रंग के फफोले पड़ जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार जोधपुर में गत दो माह में एचएफएमडी से करीब 20 हजार बच्चे हु प्रभावित हुए हैं।

ये है टोमैटो फीवर के लक्षण

लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार टोमैटो फीवर में शरीर पर पड़ने वाले फफोले मंकीपॉक्स के दानों की तरह ही दिखते हैं। इसके अलावा यह बुखार उन बच्चों को अपनी चपेट में जल्दी लेता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। टोमैटो फीवर के लक्षणों में तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकान, हरारत, जोड़ों में दर्द, खुजली, उल्टी, डिहाइड्रेशन, डायरिया आदि शामिल हैं।

कैसे फैलता है बुखार?टोमैटो फीवर के आउटब्रेक का पहला केस केरल के कोल्लम में गत 6 मई को आया था। फिर 1 से 5 साल के बच्चों में बुखार के लक्षण देखे गए, यानी फिलहाल यह बच्चों में ही ज्यादा फैल रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे गंदी जगहों में रहना और गंदी चीजें छूना आदि माना जा रहा है। बच्चे खिलौने, खाना और कपड़ों से लेकर कई चीजें शेयर करते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसका मतलब दूसरे वायरल इन्फेक्शन्स की तरह यह भी नजदीकी संपर्क से फैलता है।

एक ही वायरस के कई ग्रुप फैला रहे बीमारियांहमारे यहां हैंड, फुट व माउथ डिजीज से बहुत बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं। केरल में टोमैटो फीवर आया हुआ है। चर्चा हैं कि ये एचएफएमडी का ही वेरिएंट हैं। एंटीरोवायरस हैं, जिसमें एक ग्रुप मंकी, दूसरा टोमैटो व एचएफएमडी जैसी बीमारियां कर रहे हैं। इन बीमारियों का डाइग्नोसिस चिकित्सक क्लिनिकली कर रहे हैं। बच्चों में लक्ष्ण दिखते ही तुरंत पैरेंट्स शिशु रोग चिकित्सकों को दिखाएं।

- डॉ. प्रमोद शर्मा, सीनियर प्रोफेसर, शिशु रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज