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जोधपुर रेस्क्यू टीम को बाड़मेर-सांचोर के बीच चार दिनों से चकमा दे रहा पैंथर

- संसाधनों के अभाव के बावजूद गुजरात से पहुंचे हमलावर पैंथर को सुरक्षित पकडऩे का प्रयास

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जोधपुर रेस्क्यू टीम को बाड़मेर-सांचोर के बीच चार दिनों से चकमा दे रहा पैंथर

फाइल फोटो

नंदकिशोर सारस्वत

जोधपुर. मारवाड़ के सांचोर उपखण्ड में पिछले चार दिनों से दहशत का पर्याय बन चुके हमलावर पैंथर को सुरक्षित पकडऩे के लिए जोधपुर वनविभाग वन्यजीव प्रभाग की रेस्क्यू टीम दिन रात प्रयास में जुटी है लेकिन वनकर्मी सहित तीन ग्रामीणों पर हमला कर घायल कर चुका पैंथर पिछले चार दिनों से टीम को चकमा देने में कामयाब रहा है। रविवार को पैंथर का मूवमेंट झाखरड़ा वन क्षेत्र में आसपास रहा। जोधपुर टीम के शूटर बंशीलाल ने पत्रिका को बताया की शनिवार को चितलवाना से सिवाङा रोड सारणो की ढाणी के आसपास गुजरात से पहुंचे पैंथर के पद चिह्न मिले लेकिन रविवार को लगातार बारिश और जगह जगह खेतों में फसल और तारबंदी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही है।

टीम के पास नहीं संसाधन

प्रदेश के वनमंत्री सुखराम विश्नोई के विधानसभा क्षेत्र सांचोर में घुसपैठ करने वाले पैंथर को पकडऩे में जुटी जोधपुर वन विभाग की रेस्क्यू टीम के पास अभी तक सुरक्षा के संसाधन तक उपलब्ध नहीं है। टीम के प्रमुख शूटर जोधपुर के बंशीलाल के पास बॉडी प्रोटेक्टर जैकेट और टीम के पास सुरक्षित उपकरण तक नहीं है। टीम में रेस्क्यू प्रभारी जोधपुर के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञानप्रकाश, राजेन्द्र भाटी के साथ जालोर वनविभाग की टीम भी सहयोगी है।

जोधपुर में कई बार पहुंच चुके है पैंथर

पिछले एक दशक में पैंथर अरावली की पहाडिय़ों से जोधपुर शहर सहित बाड़मेर पहुंचने की दस से अधिक घटनाएं हो चुकी हंै। प्राकृतिक भोजन खत्म होने पर भूख प्यास या नई टेरेट्री की तलाश तो कई बार नर पैंथर की टेरेट्री को लेकर आपसी संघर्ष के कारण प्राकृतवास छोड़ कर भटकने से रिहायशी क्षेत्रों में जा पहुंचते हैं और इस दौरान या तो ग्रामीणों के हत्थे चढ़ कर तो कभी शिकारियों के फंदे में फंस कर जान गवां बैठते हैं। जोधपुर शहर के औद्योगिक क्षेत्र स्थित ग्वारगम की फैक्ट्री में वर्ष 2010 में घुसे एक युवा पैंथर को जिंदा पकड़ा जा चुका है।