
एम्स जोधपुर में परऑरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी शुरू
जोधपुर. एम्स जोधपुर में दो दिवसीय कार्यशाला में ऐकलेजिया कार्डिया रोग के 7 रोगियों के लिए एंडोस्कोपी से परऑरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी प्रक्रिया की गई। यह प्रक्रिया पश्चिमी राजस्थान में पहली बार की गई है। ऐकलेजिया कार्डिया एक दुर्लभ विकार है। जिससे भोजन और तरल पदार्थ के पेट में जाने में मुश्किल होती है। कार्यशाला का आयोजन गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने किया। दो दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञ डॉ जहीर नबी की मदद से एम्स गेस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स डॉ आशीष अग्रवाल और डॉ छगन लाल बिरदा ने 7 रोगियों के लिए इस प्रक्रिया का प्रदर्शन किया। इस प्रक्रिया के बाद मरीजों को अब दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कार्यक्रम में एम्स निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा व एम्स अस्पताल अधीक्षक डॉ. एमके गर्ग शामिल थे।
जानिए क्या है ऐकलेजियाकार्डिया
विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर एक इंसान भोजन को निगलता है तो भोजन नलिका के निचले हिस्से में पाया जाने वाला स्फिं गक्टर यानी के मांसपेशिका का छल्ला खुलता है। खाने को पेट में जाने देता है। तंत्रिका कोशिका एंस्फिं गक्टर की खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती हैं। जो लोग ऐकलेजिया कार्डिया से पीडि़त होते हैं। उनकी तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब हो जाती है। इन कोशिकाओं के न होने से स्फिं गक्टर को आराम करने का मौका नहीं मिलता। परिणाम स्वरूप भोजन नलिका में खाना इक_ा होने लगता है। इससे भोजन निगलने में दिक्कत आती है। उल्टी होने लगती है, रात को कफ गिरती है और वजन कम होने लगता है। अब तक फूड पाइप टाइट होने का इलाज गुब्बारे के जरिए किया जाता था, जहां पर फू ड पाइप फं सता था। वहां पर गुब्बारा पहुंचा कर स्ट्रेचकर दिया जाता था। हालांकि, यह टेंपररी इलाज था। कुछ दिन बाद फि र से यह बीमारी होने लगती थी। इसका दूसरा इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी है। जापान में इस नई प्रक्रिया की शुरुआत की गई। इसमें मुंह के जरिए ऐंडॉस्कपी मशीन डालकर वॉल्व को ढीला कर दिया जाता है। इसमें सबसे बड़ा फ ायदा ये हैं कि मरीज को किसी भी प्रकार की सर्जरी नहीं झेलनी पड़ती।
Published on:
24 Dec 2021 04:56 pm
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