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चार दशक बाद फिर मुस्कुराया फलोदी का प्राचीन गुलाब सागर

एक शताब्दी से अधिक समय तक फलोदी में पेयजल का सबसे बड़ा मुख्य जलस्त्रोत रहा गुलाब सागर सरोवर चार दशक बाद अब फिर मुस्कुरा उठा है।

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चार दशक बाद फिर मुस्कुराया फलोदी का प्राचीन गुलाब सागर

चार दशक बाद फिर मुस्कुराया फलोदी का प्राचीन गुलाब सागर

फलोदी (जोधपुर). एक शताब्दी से अधिक समय तक फलोदी में पेयजल का सबसे बड़ा मुख्य जलस्त्रोत रहा गुलाब सागर सरोवर चार दशक बाद अब फिर मुस्कुरा उठा है और बारिश के दिनों पेयजल की आवक बढऩे से यहां का प्राकृति सौन्दर्य आमजन को शुद्ध हवा के साथ सुकून का वातावरण प्रदान कर रहा है।


करीब डेढ़ सौ साल पूर्व सेठ गुलाबदास राठी ने अपने नाम से गुलाब सागर सरोवर बनवाया था। जो यह फलोदी व आस-पास के गांवों व खेड़ों के लिए पेयजल का प्रमुख स्त्रोत बन गया था। यहां पणिहारिनी तीन दशक पहले तक इस सरोवर से पेयजल लाकर घर परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाती थी। पाइपलाइन बिछने के बाद धीरे-धीरे गुलाब सागर की ओर जाना कम हो गया।

धीरे-धीरे यह सुन्दर सरोवर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया। लेकिन भामाशाहों के आर्थिक सहयोग व स्वयंसेवकों के जज्बे व दो सालों की असीम मेहनत के बाद अब गुलाब की महक एक बार फिर बिखरने को तैयार है।

खुदाई के बाद अब पौधरोपण अभियान
जानकारों के अनुसार गुलाब सागर की खुदाई का कार्य पूर्ण हो चुका है और अब यहां पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत बारिश से संग्रहित पानी का उपयोग पौधों की सिंचाई में उपयोग कर प्रकृति को मनोरम बनाया जा रहा है। उक्त कार्य के लिए वृक्ष मित्र संस्थान के साथ अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं भी आगे आई है, जो गुलाब सागर को प्रकृति का सबसे मनोरम स्थल बनाने की ओर अग्रसर है।

इन्होंने किया आर्थिक सहयोग
गुलाब सागर का सबसे पहले 1960 में जीर्णोद्धार किशन गोपाल व्यास की प्रेरणा पर किया गया था, लेकिन चार दशक से यह दुर्दशा पर पहुंचा हुआ था, लेकिन अब 2019 में गुलाब सागर की दशा बदलने के लिए डॉ. दिनेश शर्मा, कुंज बिहारी बोहरा, डूंगर पुरोहित, ओमप्रकाश उर्फ भालू थानवी, समस्त महाजन मुम्बई जैसी संस्थानों ने आर्थिक सहयोग किया।

वहीं स्वयंसेवक जयराम गज्जा, रमेश थानवी नेता प्रतिपक्ष, दिलीप व्यास, जगदीश गज्जा, राजेश गोहरा, रामदयाल थानवी, बृजमोहन बोहरा आदि ने श्रमदान व भामाशाहों को प्रेरित कर सरोवर का कायाकलप करने में सहयोग कर प्राचीन जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित कर मनोहारी स्थल बना दिया।