कुमार ने कोई दीवाना कहता है… सहित अपने लोकप्रिय गीत और गजलें सुनाई तो पांडाल में मौजूद लोग भी तालियों के साथ ताल मिलाने लगे। ग्वालियर से आए कवि तेजनारायण शर्मा बेचैन ने व्यंगात्मक शैली में काला धन, बजट को लेकर कविताएं पहुंचाई। इस दौरान उन्होंने पूर्व एवं वर्तमान प्रधानमंत्री को लेकर व्यंग्य किया तो पांडाल में उत्साहित कई लोग मोदी मोदी के नारे लगाने लगे।
जग घूमिया थारे जैसा न कोई
युवा कवि पार्थ नवीन प्रतापगढ़ी ने गीत के अंदाज में ना गंगा जैसा पानी कहीं, न झांसी वाली रानी कहीं, ना पन्ना सी मर्दानी कहीं, जग गुमियां थारे जैसा न कोई सुनाया तो हर कोई वाह, वाह कर उठा। इसके अलावा जर्दे के दुष्परिणाम, बाबाओं, राजनेताओं, हिरन शिकार प्रकरण पर हास्य कविताओं, पैरोडी से लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।
राजस्थानी में सुनाई कविता युवा कवियत्री आयुषी ने राजस्थानी भाषा मे सोशल मीडिया को लेकर बालम म्हारो व्हाट्सएप घणो चलावे सहित जोधपुर के खान पान को लेकर भी कविताएं सुनाई।