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जोधपुर . एक गुरुजी ने बीएड में अध्ययन करते समय जो वैकल्पिक विषय चुने थे। आज सरकारी स्कूलों में उनका कोई मायना नहीं है। गुरुजी ने कॉमर्स विषय में अध्ययन किया, लेकिन आज वे कक्षा आठ की स्कूलों में दूसरे सब्जेक्ट पढ़ा रहे हैं। कुछ एेसा ही ढर्रा है शिक्षा विभाग की राजकीय स्कूलों का, जहां कहीं विद्यार्थी अनुपात में शिक्षक नहीं हैं तो कहीं शिक्षक जानकार हैं, लेकिन उन्हें दूसरी स्कूलों में एेसा विषय दे रखा है, जिसकी वे एबीसीडी नहीं जानते। इस कारण सरकारी स्कूलों में योग्यताधारी शिक्षक होने के बावजूद हजारों बच्चों को अपने क्षेत्र में पारंगत गुरुजी से सही फायदा नहीं मिल रहा।
पढ़ा रहे प्राथमिक कक्षाओं में
शिक्षा में नये-नये प्रयोगों के कारण कई शिक्षक अपने मूल विषय की दक्षता भूल चुके हैं। कई शिक्षक अपने पद के साथ स्तर के विरुद्ध भी पढ़ा रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पूर्व जिला मंत्री श्यामसिंह सजाड़ा ने बताया कि राउमावि केतुमदा में एक लेवल-१ शिक्षक (जो एसटीसी किए हुए हैं, कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाने की योग्यता रखते हैं) के पद के विरुद्ध लेवल-२ शिक्षक (जो बीकॉम, बीएड किए हुए हैं, जो कक्षा ६ से ८ की कक्षाओं में अपने चयनित विषय पढ़ा सकते हैं) कक्षा १ से ५ को पढ़ा रहे हैं। इसी तरह के शिक्षक रामावि लूणावास खारा व राउमावि शेरगढ़ सहित कई स्कूलों में हैं, जिनका सदुपयोग नहीं हो रहा है। इसी ढर्रे के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। जबकि सरकार ने १ से ५ तक पढ़ाने के लिए एसटीसी लेवल-१ शिक्षकों को ही पात्र माना है, उसी हिसाब से भर्ती प्रक्रिया होती है। बीएड योग्यताधारियों को कक्षा ६ से ८ पढ़ाने के लिए योग्य माना है, उसी के अनुसार काउंसलिंग कर के सरकार पदस्थापन कर रही है, लेकिन सरकार खुद के बनाए मानदंडों की स्वयं अवहेलना कर रही है।
कैमिस्ट्री लेक्चरर पढ़ा रहे फिजिक्स
शहर की राउमावि सिवांची गेट स्कूल में फिजिक्स विषय के व्याख्याता का पद खाली है। इस कारण यहां एक कैमिस्ट्री लेक्चरर बच्चों को फिजिक्स पढ़ा रहा है। इस स्कूल में कक्षा ११-१२ करीब ८२ बच्चे हंै। एेसे कैमिस्ट्री शिक्षक के लिए फिजिक्स पढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई सफर कर रही है। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील प्रदेश उपाध्यक्ष जयकिशन पंचारिया ने बताया कि राज्य सरकार के विषयाध्यापक व व्याख्याताओं के पद न भरने के कारण सीधे तौर पर विद्यार्थियों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। इनका कहना हैसरकार के आदेशानुसार लेवल-१ के पद के विरुद्ध लेवल-२ के शिक्षक लगा सकते हैं। सब्जेक्ट के विरुद्ध पढ़ाने के लिए स्कूल प्रिंसिपल क्वालिटी भी देखते हैं।
- विनोदकुमार शर्मा, डीईओ माशि प्रथम, जोधपुर
Published on:
04 Jan 2018 10:04 am
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