5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Assembly Election: कभी तरसते थे….पानी आया तो निकास तंत्र गड़बड़ाया, जलभराव बड़ी समस्या

Rajasthan Assembly Election 2023: जोधपुर के पुराने शहर की गलियां इतनी तंग हैं कि आप वहां कार लेकर नहीं जा सकते। इसलिए मैने वहां अपने एक साथी की मोटरसाइकिल के पीछे बैठ कर पुराने शहर का जायजा लिया। रात को चूंकि तूफान के साथ बारिश हुई थी, इसलिए गलियों में पानी भरा हुआ दिखा।

2 min read
Google source verification
jaipur_to_jodhpur.jpg

हरेन्द्रसिंह बगवाड़ा/जोधपुर. Rajasthan Assembly Election 2023: जोधपुर के पुराने शहर की गलियां इतनी तंग हैं कि आप वहां कार लेकर नहीं जा सकते। इसलिए मैने वहां अपने एक साथी की मोटरसाइकिल के पीछे बैठ कर पुराने शहर का जायजा लिया। रात को चूंकि तूफान के साथ बारिश हुई थी, इसलिए गलियों में पानी भरा हुआ दिखा। शहर के वाशिन्दे गलियों में भरे पानी को निकालने में जुटे थे। किसी जमाने में शहर के लोग पानी को तरसते थे, अब पानी तो पर्याप्त है, लेकिन पानी के निकास का तंत्र गड़बड़ाया हुआ है, जिससे जल भराव की समस्या बनी हुई है। बारिश में तो लोगों के घरों तक में पानी भरने लगता है।

आगे बढ़े तो देवेंद्र सांखला बाजार में खरीदारी करते मिले। देवेंद्र का कहना था कि जोधपुर शहर विधानसभा सीट के तहत पुराने शहर का सत्तर फीसदी इलाका आता है। इसके अतिरिक्त शास्त्रीनगर, झालामण्ड और भगत की कोठी और आस-पास की कॉलोनियां भी जोधपुर शहर में आती है। हालांकि ये इलाके नए होने से यहां जलभराव जैसी समस्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन शहर से बाहर की इन कॉलोनियों में सडक़, नाली, बिजली की समस्याएं हैं।
यह भी पढ़ें : परकोटा-हवेलियां बिसराई, पटरी ने शहर को किया बेपटरी...भुजिया का स्वाद ले रही दुनिया
आज भी सिहर उठते हैं...
शहर के हृदय स्थल जालोरी गेट पर पिछले साल जो साम्प्रदायिक दंगे हुए, उससे शहर का आम आदमी व्यथित नजर आया। स्थानीय लोगों के मन की टोह लेने में मैं पाल रोड़ स्थित श्याम नगर में अपने एक दोस्त के यहां पहुंचा। बातचीत का दौर शुरू हुआ तो घर के बच्चों तक ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की। गृहिणी रंजना गांधी का कहना था कि हालांकि, पिछले साल हुए साम्प्रदायिक दंगे अब कल की बात हो गई, लेकिन उस हिंसा को यादकर आज भी सिहर उठते हैं।

शांति और सद्भाव के साथ लोग नहीं रहेंगे तो फिर विकास की बात करना बेमानी होगा। सरकार को भी दंगाइयों से सख्ती और निष्पक्षता से निपटना होगा। आपसी भाईचारे और सौहार्द के अभाव में सडक़, नाली, बिजली, पानी जैसे मसले गौण हो जाते हैं। जालोरी गेट पर लंबे समय से कायम अस्थायी पुलिस चौकी भी शहर वासियों को दंगे की कड़वी याद भूलने नहीं देती। आज भी पुलिस जाप्ते के बिना शहर में कोई तीज-त्योहार नहीं मनाया जा सकता।
यह भी पढ़ें : तपोभूमि बेनूर...सरोवर स्नान से दूर बजरी और जिप्सम का अवैध खनन बदस्तूर
सूरसागर की कहानी थोड़ी अलग...
उधर, सूरसागर विधानसभा सीट की कहानी थोड़ी अलग दिखी। चाय की थड़ी पर बैठे तीन-चार लोगों से बात की तो उनमें से राजेंद्रसिंह ने बेबाकी से कहा कि आप खुद देख लें...जोधपुर शहर और सरदारपुरा की तुलना में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, ब्रह्मपुरी, कालीबेरी जैसे इलाकों में विकास कम है। इन इलाकों में राज्य सरकार का कोई बड़ा प्रोजक्ट भी चलता हुआ नहीं दिखेगा

सरकारी योजनाओं को लेकर पूछने पर व्यवसायी नंदकिशोर परिहार का कहना था कि चिरंजीवी बीमा योजना आम आदमी के लिए लाभकारी है, लेकिन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। अवैध खनन और चौथ वसूली की शिकायतें भी यहां कई लोगों ने की। आगे चलने पर दवाई की दुकान पर मिले सेवानिवृत्त शिक्षक रामप्रकाश शर्मा का कहना था कि यहां के स्कूल, कॉलेज अस्पतालों में स्टाफ पूरा होने से जनता को इसका फायदा मिल रहा है।

चुनावों से जुड़ी अन्य खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...