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रामस्नेही संत व अनुयायी दो साल बाद मनाएंगे फूल डोल उत्सव

खेड़ापा पीठाचार्य पुरुषोत्तमदास के सान्निध्य में 18 19 मार्च को उत्सव देश भर के 52 थाबों (रामधाम से संबंधित आश्रम) के संत-महंत एवं देश भर के हजारों श्रद्धालु

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रामस्नेही संत व अनुयायी दो साल बाद मनाएंगे फूल डोल उत्सव

रामस्नेही संत व अनुयायी दो साल बाद मनाएंगे फूल डोल उत्सव

जोधपुर. रामस्नेही संत व अनुयायी दो साल बाद होली पर फूल डोल उत्सव मनाएंगे। वैश्विक महामारी कोरोना लॉकडाउन और गाइडलाइन के कारण पिछले दो साल से उत्सव की केवल औपचारिकता निभाई जा रही थी। इस बार रामस्नेही सम्प्रदाय की दो प्रमुख पीठों में उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। खेड़ापा रामस्नेही पीठ के संत केशवदास ने बताया कि फूलडोल का उत्सव इस बार खेड़ापा पीठाचार्य पुरुषोत्तमदास के सान्निध्य में 18 मार्च को जागरण व 19 मार्च को उत्सव होगा। चांदपोल बड़ा रामद्वारा के संत हरिराम शास्त्री ने बताया कि भीलवाड़ा शाहपुरा रामस्नेही पीठ में फूलडोल उत्सव फाल्गुण शुक्ल एकादशी से चैत्र शुक्ला पंचमी तक 25 दिन रहता है । इसमें मुख्य समारोह होली से चैत्र कृष्णा पंचमी तक रहता है । इस फूलडोल उत्सव में रामस्नेही सम्प्रदाय के सन्त एवं देश विदेशों के श्रद्धालु भक्त जन हजारों मील की दूरी तय करते हुए इस पवित्र धाम शाहपुरा में उपस्थित होकर धाम दर्शन, सन्त दर्शन और सत्संग श्रवण त्रिवेणी संगम के स्नान का लाभ उठाते हैं । शाहपुरा में फूलडोल के प्रमुख कार्यक्रम में होली के दिन रात्रि को रामस्नेही सम्प्रदाय के आचार्यश्री की सन्त मण्डली गाजे बाजे से नगर में स्थित राममेड़ी में पधरावणी होती है । इस पधरावणी के जुलूस में सैंकड़ों भक्तजन आचार्य श्री के आगे आगे धमाल राग में भजन गाते हुए एवं जयघोष करते हुए चलते है । राममेड़ी में वर्तमान आचार्य श्री के मुखारविन्द से उपदेश और सन्त व भक्त जन भजन प्रस्तुत करते है। फूल डोल उत्सव में जागरण की परम्परा आद्याचार्य स्वामी रामचरण महाराज के समय से ही चली आ रही है ।

यह भी होते है आयोजन

संत हरिराम शास्त्री ने बताया कि फूल डोल महोत्सव में चैत्र बदी एकम से पंचमी तक प्रतिदिन सुबह वाणीजी का पठन, सत्संग,भजन, प्रवचन, होता है । आयोजन के दौरान सम्प्रदाय में प्रवेश पाने वाले इच्छुक व्यक्तियों को दीक्षित किया जाता है। धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक सभी दृष्टिकोणों से उपादेय फूलडोल उत्सव में देश विदेश के विभिन्न अंचलों से हजारों रामस्नेही भक्त उपस्थिति देते है। रामस्नेही संप्रदाय के वार्षिकोत्सव में राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड के अलावा विदेशों से भागीदारी निभाते है। बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए भोजना व ठहरने की व्यवस्था की जाती है।

परंपरा 600 वर्षों से भी अधिक समय से

रामधाम खेड़ापा जोधपुर के उत्तराधिकारी संत गोविंदराम शास्त्री ने बताया कि होली के पावन अवसर पर रामधाम के पीठाधीश्वर महंत पुरुषोत्तमदास शास्त्री के सानिध्य एवं हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में होली मेले का मुख्य जागरण आयोजित होगा। जबकि अगले दिन रामा-श्यामा पर अलसुबह रामधाम के जूनीजागा (प्रचीन मंदिर) में फूलडोल महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान पुष्प वर्षा के साथ श्रद्धालु फूलों से होली खेलकर एक-दूसरे को होली की बधाई एवं रामा-श्यामा करेंगे। इस दौरान रामस्नेही रामधाम खेड़ापा से जुड़े देश भर के 52 थाबों (रामधाम से संबंधित आश्रम) के संत-महंत एवं देश भर के हजारों श्रद्धालु नर-नारी भाग लेते हैं और रामधाम खेड़ापा में यह परंपरा पिछले करीब 600 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है।


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