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जोधपुर में हुआ मेडिकल साइन्स का यह करिश्मा,जटिल ऑपरेशन कर उसकी सांसें लौटा दीं

जोधपुर के उम्मेद अस्पताल ने जिंदगी और मौत के बीच झूल रही एक प्रसूता का जटिल ऑपरेशन कर उसकी सांसें लौटा दीं। देखें यह वीडियो :

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MI Zahir

Oct 16, 2018

जोधपुर में मेडिकल साइन्स एक करिश्मा सामने आया है। उम्मेद अस्पताल ने जिंदगी और मौत के बीच झूल रही एक प्रसूता का जटिल ऑपरेशन कर उसकी सांसें लौटा दीं। देखें यह वीडियो :

प्रसव के बाद बेहोश हो गई थी

उम्मेद अस्पताल के डॉक्टरों ने एक ऐसी प्रसूता की जान बचाई गई, जो घर पर प्रसव के बाद बेहोश हो गई थी। घर वाले उसे उम्मेद अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसकी पल्स थम चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे तीन बार डीसी शॉक देकर सांसें लौटा दी और 24 घंटे वेंटिलेंटर पर रखा। उसके बाद अब प्रसूता के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।


प्रसव घर पर हुआ था

मेडिकल उम्मेद अस्पताल अधीक्षक एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना देसाई ने बताया कि शुक्रवार रात करीब पौने बारह बजे लूणी निवासी 24 वर्षीय एक ऐसी प्रसूता को उसके परिजन अस्पताल लाए, जिसका प्रसव घर पर हुआ था। प्रसव के बाद महिला की बच्चेदानी उल्टी हो गई और वापस शरीर के अंदर नहीं जा पाई और वह बेहोश हो गई। उम्मेद अस्पताल में डॉ. कल्पना गोयल ने प्रसूता की जांच के दौरान देखा कि पल्स बंद थी, कार्डियक अरेस्ट के बाद उसके दिल की धड़कन भी बंद हो चुकी थी। डॉ. गोयल की सूचना पर डॉ. बी.एस. जोधा भी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अपनी टीम के साथ प्रसूता को तीन बार डीसी शॉक दिए। तीसरे शॉक के बाद प्रसूता के दिल की धड़कन चलने लगी। उसके बाद उसे वेन्टिलेटर पर ले लिया और शरीर से बाहर आई बच्चेदानी बिना किसी ऑपरेशन के शरीर के अंदर रिपोजिट की। इसमें एनएएसजी (नॉन न्यूमेटिक एंटीशॉक गारमेंट) किट व बाकरी बैलून काम में लिया गया। वहीं 24 घंटे वेन्टिलेटर पर रखने के बाद प्रसूता की स्थिति सामान्य हुई। उसके बाद उसे पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में भर्ती किया गया। अब जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। उपचार में डॉ. जोधा, डॉ. गोयल के अलावा एनेस्थेटिक डॉ. शिखा सोनी, डॉ. कनिका, डॉ. कमलेश, डॉ. सत्यवीर, डॉ. बाबूलाल, डॉ. अंकिता, डॉ. जोगिन्द्र, डॉ. अमन, डॉ. आयुषी व रुचि का सहयोग रहा।

1000 प्रसवों में से 20-30 ऐसे प्रसव

डॉ. जोधा के अनुसार करीब 1000 प्रसवों में से 20-30 ऐसे प्रसव होते हैं, जिसमें प्रसूताओं को इनवर्जन ऑफ यूट्रस हो जाता है। अस्पताल में डिलीवरी के दौरान तो सुरक्षित तरीके से यूट्रस रिपोजिट कर दिया जाता है, लेकिन घरों में होने वाले प्रसव के दौरान इनवर्जन ऑफ यूट्रस के बाद प्रसूता की जान पर खतरा आ जाता है। बच्चेदानी बाहर आने पर प्रसूता बेहोश हो जाती है और यदि सही तरीके व समय पर यूट्रस रिपोजिट नहीं किया जाए तो प्रसूता की जान को भी खतरा हो सकता है।