
अविनाश केवलिया
Wildlife Conservation Campaign : नदी में प्रदूषित पानी के कारण वन्यजीवों पर संकट खड़ा होने लगा। कई वन्यजीव जोजरी, लूणी और बांडी नदी में हो रहे प्रदूषण के कारण दम तोड़ने लगे। तब एक मुहिम मेलबा गांव के रातानाडा से शुरू हुई जो कि सोशल मीडिया पर इस बार वायरल हुई। देखते ही देखते मारवाड़ के कई गांवों में लोगों ने इसे अपनाया और भामाशाहों की मदद से वन्यजीवों के लिए मदद की यह शृंखला खड़ी हो गई।
मेलगा गांव के रहने वाले श्रवण पटेल ने बताया कि पहला वाटर पॉइंट या पानी की खेली ओरण रातानाडा में इंटैक की सहायता से तैयार की गई। यह कॉन्सेप्ट उन्होंने तालछापर अभ्यारण्य में देखा था, जिसे यहां इंटैक व भामाशाहों की मदद से लागू किया। यह काफी सफल रहा और धवा-डोली क्षेत्र में बसे हिरण-चिंकारा जैसे वन्यजीवों को काफी राहत मिली।
श्रवण को फोटो-वीडियोग्राफी का शौक है और वे थार फोटोग्राफी नाम से सोशल मीडिया पर कंटेंट डालते हैं। पहले उन्होंने रातानाडा का और फिर अन्य स्थानों पर बन रहे वाटरटैंक को बनाने का वीडियो डाला। इसको 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा और एक मुहिम के रूप में सामने आया।
इस वीडियो के वायरल होने के कारण कई लोगों ने श्रवण व उनकी टीम से सम्पर्क किया, उन्होंने इसे बनाने का तरीका व इसके बजट की जानकारी ली। इसके बाद नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर के कई गांवों में लोगों ने इसको बनाने की प्रक्रिया शुरू की। चार से पांच दिन में 25 से 30 हजार की लागत में एक वाटर टैंक को बनाया गया। इसे ओरण या अन्य सावर्जनिक स्थानों पर बनाया गया, जिससे लोगों को काफी फायदा हुआ।
जोधपुर, पाली व बालोतरा शहरों में चल रहे टैक्सटाइल, स्टील के साथ ही सीवरेज के पानी को नदियों में प्रवाहित करने से कई गांवों में लोगों की जमीनें, वनस्पति और वन्यजीवों को नुकसान हुआ है। इसी नुकसान के विरुद्ध इन लोगों ने यह मुहिम खड़ी की है।
यह भी पढ़ें :
Published on:
07 Jun 2024 10:27 am
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
