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रीट में राजस्थानी भाषा नहीं जोडऩे पर सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स (रीट) के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को सम्मिलित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

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रीट में राजस्थानी भाषा नहीं जोडऩे पर सरकार से मांगा जवाब

रीट में राजस्थानी भाषा नहीं जोडऩे पर सरकार से मांगा जवाब

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स (रीट) के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को सम्मिलित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ में याचिकाकर्ता पदम मेहता की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य विधानसभा ने 25 अगस्त, 2003 को सर्वसम्मति से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार को लेकर एक कानून पास किया था, जिसमें यह प्रस्तावित किया गया था कि शिक्षा मातृ भाषा में दी जानी चाहिए। पिछले वर्ष लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी कहा गया है कि बच्चों को आठवीं कक्षा तक मातृ भाषा में शिक्षा दी जाए। चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने 11 जनवरी को रीट के लिए अधिसूचना जारी की है, ताकि शिक्षक भर्ती के लिए योग्य अभ्यर्थियों को पात्र घोषित किया जा सके। अधिसूचना में पाठ्यक्रम में उल्लेखित किया गया है, जिसके अनुसार डेढ़ सौ सवालों में से भाषा से जुड़े साठ सवाल पूछे जाएंगे। इसके लिए सात भाषाएं हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, सिंधी, गुजराती, पंजाबी तथा उदर्् को सम्मिलित किया गया है, जिनमें अभ्यर्थी को कोई दो भाषा को चुनना होगा। उन्होंने राजस्थानी भाषा को इसका भाग नहीं बनाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार कानून में मातृ भाषा को तरजीह दिए जाने की बात कही गई है, लेकिन रीट में राजस्थानी को नहीं जोडऩे से चयनित शिक्षकों से मातृ भाषा का ज्ञान होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। खंडपीठ ने राज्य सरकार को 12 मई तक जवाब देने को कहा है।