
' शर्म छोड़ें, क्योंकि सेक्स की समस्याएं छिपाने से अधिक बढ़ जाती है '
जोधपुर.
यौन व मनोरोग उपचार के इलाज के लिए सामान्य यौन और असामान्य यौन को जानना जरूरी है। 30 से 40 आयु वर्ग के जितने भी मरीज हमारे सामने आ रहे हैं। उनमें से 50 से 60 प्रतिशत मरीज यौन व मनोरोग से संबंधित होते हैं, लेकिन उनकी बीमारी का असल कारण जाने बिना यदि हम उपचार दे देते हैं, तो मरीज की शारीरिक पीड़ा तो ठीक हो जाती है, लेकिन मानसिक रोग का इलाज नहीं हो पाता। इसलिए अलग-अलग रोगों के विशेषज्ञों को उपचार करने से पहले बीमारी को मनोविज्ञानी नजरिए से भी देखना चाहिए।
यह विचार देश के प्रसिद्ध यौन रोग विशेषज्ञ व मनोविज्ञानी डॉ. टीएस सत्यनारायण राव ने व्यक्त किए। वे जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में आयोजित मनोचिकित्सा एवं यौनरोग सम्बन्धी परिचर्चा में प्रदेश के चिकित्सकों को सम्बोधित कर रहे थे। आयोजन सचिव डॉ. अर्पित कूलवाल ने बताया कि डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोरोग चिकित्सा विभाग एवं जोधपुर साइकियाट्रिक सोसाइटी की साझा मेजबानी में सीएमई में चिकित्सक डॉ. अदिती, डॉ. आशीष, डॉ. श्रेयांस, डॉ. अंकित, डॉ. अरविन्द बरड़ आदि ने डॉ. राव से सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासाएं भी शांत की।
डॉ. राव ने प्रजेंटेशन के जरिए बताया कि अधिकतर लोग शर्म के कारण न केवल परिजन बल्कि अपने जीवन साथी तक को यौन समस्या के बारे में नहीं बताते। जिससे वे मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं और मनारोग की चपेट में आने से गुस्सा, चिड़चिड़ापन के शिकार हो जाते हैं। ऐसे कई केस सामने आए हैं, जो यौन रोग की समस्या से ग्रस्त थे और मन में कुंठित होते-होते अपराध की तरफ बढ़ गए।
डॉ. राव ने कहा कि सबसे पहले नॉर्मल सैक्स व अब्नार्मल सैक्स के फर्क को जानना जरूरी है। उन्होंने प्रजेंटेंशन के जरिए महिला-पुरुष के संबंधों, व्यवहार, भाषा और जीवन पर किस व्यवहार से क्या बदलाव आते हैं और यदि कुछ गलत होता है तो उसे ठीक कैसे किया जा सकता है, के बारे में विस्तार से बताया। परिचर्चा में डॉ. वीके राजदान, डॉ. डीआर पुरोहित, डॉ. जीडी कुलवाल, एम्स के चिकित्सक डॉ. नरेश नेभनानी, मिल्ट्री हॉस्पीटल से डॉ. विशाल चौपड़ा, बीएसएफ से डॉ. हिमा बिन्दु सहित प्रदेशभर के 210 चिकित्सकों ने भाग लिया।
Published on:
03 Aug 2018 05:27 pm
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