
फलोदी स्थित शीतला माता मंदिर।
- शीतला सप्तमी आज, बासी भोजन चढाकर करेंगे पूजा अर्चना
फलोदी (जोधपुर). मंदिर में दीप, धूप व अगरबत्ती करना आस्था का सबसे बडा प्रतीक होता है, लेकिन फलोदी के प्राचीन शीतला माता मंदिर की स्थापना से लेकर अब तक कभी ना दीप जला और ना ही अगरबती व धूप किया गया, यहां तक मंदिर में प्रसाद भी बासी भोजन का चढाया जाता है। जी हां यह भी एक मान्यता का हिस्सा है, जिसका निर्वहन फलोदी स्थापना से ही किया जाता है।
भरता है मेला
जानकारों की माने तो फलोदी स्थापना के बाद दुर्ग व लटियाल माता मंदिर निर्माण के साथ शीतला माता मंदिर की भी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, जो वर्तमान में भी स्थापित है। यहां शीतला सप्तमी पर माता के मंदिर परिसर में मेला भरता है और सैकडों महिलाएं यहां पहुंच कर शीतला माता को बासियोडे कलेवे का प्रसाद चढाकर सुख, समृद्धि व परिवार पर शीतल दृष्टि बनाए रखने की प्रार्थना करती है।
बच्चों को बनाया जाता है गर्धवराज
मान्यता के अनुसार शीतला माता की सवारी गर्धवराज को माना जाता है और माता के सामने बच्चों को गर्धवराज बनाने की परम्परा आज भी जीवित है। मान्यता है कि शीतला माता की पूजा अर्चना के दौरान बच्चे गर्धवराज बनते है तो उनके सभी कष्ट माता हर लेती है।
शीतला सप्तमी आज, भरेगा मेला
मान्यता के अनुसार होली के सातवें दिन शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है और इससे एक दिन पूर्व घर में शीतला माता की पूजा अर्चना व चढावे के लिए कलेवा बनाया जाता है। ये व्यंजन मुख्यतः छाछ, दही व बाजरी के आटे से बनाए जाते है। ये व्यंजन ही शीतला माता को अर्पित करने के बाद प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। फलोदी में गुरुवार को शीतला सप्तमी मनाई जाएगी। जिसकी पूर्व तैयारी बुधवार को ही की गई। महिलाएं पूरे दिन पकवान बनाने में जुटी रही। घरों में गुरुवार को चुल्हा नहीं जलाया जाएगा।
Published on:
23 Mar 2022 12:30 pm
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